अग्नि राक्षस के अंत के बाद चीन में मनाई गई थी होली, होलिका से जुडी है यह कथा

हम सभी इस बात से वाकिफ हैं कि होली रंगों का त्यौहार है. होली के दिन सभी दुश्मन भी आपस में दोस्त बन जाते हैं. ऐसे में होली का त्यौहार एक प्राचीन त्यौहार है. इस त्यौहार से जुडी एक पौराणिक कथा है जो होलिका के जलने की है लेकिन इसी तरह चीन में भी एक कथा प्रचलित है जो आज हम आपको बताने जा रहे हैं. आइए जानते हैं.

कथा – प्राचीन समय में एक अग्नि राक्षस ने ‘चिंग हुग’ नाम के गांव की उपजाऊ कृषि भूमि पर कब्जा कर लिया. राक्षस विलासी और भोगी प्रवृत्ति का था. उसकी छह सुंदर पत्नियां थीं. उसके बावजूद उसने चिंग हुग गांव की एक खूबसूरत युवती का अपहरण करके उसे सातवीं पत्नी बना लिया. लड़की सुंदर होने के साथ वाक्पटु और बुद्धिमति थी. उसने अपने रूप-जाल के मोहपाश में राक्षस को ऐसा बांधा कि उससे उसी की मृत्यु का रहस्य जान लिया. रहस्य यह था कि यदि राक्षस की गर्दन से उसके लंबे-लंबे बाल लपेट दिए जाएं तो वह मृत्यु को प्राप्त हो जाएगा.
एक दिन अनुकूल अवसर पाकर युवती ने ऐसा ही किया. राक्षस की गर्दन उसी के बालों से सोते में बांध दी. इन्हीं बालों ने उसकी गर्दन काटकर धड़ से अलग कर दी. लेकिन वह अग्नि- राक्षस था. इसलिए गर्दन कटते ही उसके सिर में आग प्रज्ज्वलित हो उठी और सिर धरती पर लुढ़कने लगा. यह सिर लुढ़कता हुआ जहां-जहां से गुजरता वहां-वहां आग प्रज्ज्वलित हो उठती. इस समय साहसी और बुद्धिमान लड़की ने हिम्मत से काम लिया और ग्रामीणों की मदद लेकर पानी से आग बुझाने में जुट गई. आखिरकार बार-बार प्रज्ज्वलित हो जाने वाली अग्नि का क्षरण हुआ और धरती पर लगने वाली आग भी बुझ गई.

इस राक्षसी आतंक के अंत की खुशी में ताएं जाति के लोग आग बुझाने के लिए जिस पानी का उपयोग कर रहे थे, उसे एक – दूसरे पर उड़ेल कर झूमने लगे. फिर हर साल इस दिन होली मनाने का सिलसिला चल निकला.

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