बसपा ने खेला नया दावं, कांग्रेस के सामने गठबंधन के लिए रखी ये बड़ी शर्त
कांग्रेस की मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ ईकाई का मानना है कि दलित वोट के जरिए वह राज्य में ज्यादा वोटों पर कब्जा करके भाजपा से 15 सालों के लिए सत्ता छीन सकती है। वहीं राजस्थान की बात करें तो यह कांग्रेस का एक तरह से गढ़ है। हर पांच साल बाद यहां भाजपा और कांग्रेस की सरकार आती रहती है। राज्य ईकाई इस बात को लेकर निश्चिंत है कि उसे 2018 में सत्ता मिल जाएगी।
अंदरुनी सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस सीट बंटवारे को लेकर बसपा की मांगें को मानने वाली नहीं है। राजस्थान कांग्रेस के प्रमुख सचिन पायलट ने बसपा के साथ गठबंधन से बेशक इंकार नहीं किया है लेकिन राज्य की सच्चाई से रुबरु करवा दिया है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘यदि केंद्रीय नेतृत्व को लगता है कि पार्टी के हितों के लिए गठबंधन जरूरी है तो वह राजस्थान में भी आगे बढ़ सकता है।’
वहीं बसपा ने लोकसभा चुनाव में महागठबंधन के अंदर पार्टी सुप्रीमो मायावती को भावी प्रधानमंत्री के रूप में पेश करना शुरू कर दिया है। सोमवार को यहां बसपा के काडर कैंप में नेशनल कोऑर्डिनेटर व सांसद वीर सिंह व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जय प्रकाश सिंह ने जोर देकर यह बताने का प्रयास किया कि आज के समय में सीटों की संख्या ज्यादा मायने नहीं रखती है। कम सीट पाने वाले मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री बनते रहे हैं।
जय प्रकाश ने कहा कि पहले ज्यादा सीट वालों की ही सरकार बनती थी लेकिन कांशीराम जी के समय से इसमें बदलाव आ गया। यह कांशीराम ही थे कि 67 वाली बसपा की सरकार बनी और 150 वाली भाजपा यूपी में ताकती रह गई। झारखंड में एक सीट वाले मधु कोड़ा मुख्यमंत्री बने और 42 वाले फेल हो गए। कर्नाटक में बसपा के पास एक ही सदस्य था लेकिन सरकार उसकी बनी जिसे बहनजी ने चाहा। आज बसपा सदस्य भी मंत्री है।
पूर्वाह्न 11 बजे से अपराह्न करीब 4 बजे तक चले काडर कैंप में दोनों जिम्मेदार नेताओं ने सर्वसमाज को जोड़ने और 2019 के चुनाव में मायावती को पीएम बनाने को लेकर खूब बातें की। पर, समाजवादी पार्टी से गठबंधन को लेकर कुछ नहीं कहा। जेपी ने कहा कि बहनजी सही समय पर फैसला लेंगी। संगठन को किसी भी परिस्थिति को ध्यान में रहकर चुनाव की तैयारी करने का निर्देश दिया। हालांकि कानपुर के जोन इंचार्ज व एमएलसी भीमराव अंबेडकर ने कहा कि इस बार सपा-बसपा के गठबंधन की चर्चा सुनकर ही दूसरे दलों की हालत खराब होने लगी है। 1993 की तरह मिले मुलायम-कांशीराम वाला नारा लोगों को याद आने लगा है।