होली का त्योहार करीब है और हिंदू धर्म शास्त्रों में होली को प्रमुख त्योहार का दर्जा दिया गया है। शास्त्रों में हर महीने की तिथि और व्रत त्योहारों का अपना एक खास महत्व होता है। हिंदू व्रत में फाल्गुन महीने की एकादशी को रंगभरी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। होली से पांच दिन पहले पड़ने वाली एकादशी आपके लिए काफी लाभदायक हो सकती है। बस आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा और आपको सौभाग्य की प्राप्ति होगी।
रंगभरी एकादशी होली से 5 दिन पहले पड़ती है। इस साल रंगभरी एकादशी का मुहुर्त 16 मार्च को शनिवार रात में 11:33 बजे से 17 मार्च को रविवार रात 8:51 बजे तक रहेगा। रंगभरी एकादशी के दिन काशी में काशी विश्वनाथ का प्रतिष्ठा महोत्सव और श्रृंगार दिवस मनाया जाता है। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि रंगभरी एकादशी के दिन व्रत रखने से सभी पापों का नाश होता है और पुण्य फल मिलता है। हिंदू शास्त्रों में रंगभरी एकादशी के दिन पर स्नान, दान और व्रत करने से हजारों गोदान के बराबर फल की प्राप्ति बताई गई है। रंगभरी एकादशी भगवान श्रीहरि यानी विष्णु जी की पूजा-अर्चना से संबंधित व्रत है।
काशी के ज्योतिषविद् विमल जैन के अनुसार व्रत रखने वाले व्यक्ति को सुबह उठ कर स्नान करना चाहिए। इसके बाद अपने इष्ट देवता का ध्यान कर के रंगभरी एकादशी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके साथ ही व्रत के सभी नियमों का पालन करना बहुत जरूरी है।
हिंदू धर्म में मान्यता है कि विष्णु देव का वास आंवले के वृक्ष के नीचे होता है। इसलिए रंगभरी एकादशी के व्रत पर आंवले के पेड़ की पूजा पूर्व दिशा में मुंह करके करनी चाहिए। साथ ही आंवले के पेड़ के पूजा करते समय फूल, धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करना जरूरी है। पूजा के बाद पेड़ की आरती करके उसकी परिक्रमा लगानी चाहिए। अगर आप आंवले का फल दान करते है तो सौभाग्य में वृद्धि होगी।
भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए व्रत रखने वाले व्यक्ति को ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप करना चाहिए। पूरे दिन निराहार व्रत रखना चाहिए। जरूरत पड़ने पर दूध या फलाहार ले सकते हैं। इस व्रत को रखने वाले व्यक्ति को दिन में नहीं सोना चाहिए। इसके अलावा रात्रि जागरण करना लाभकारी सिद्ध होगा। रंगभरी एकादशी पर ब्राह्मण को अपनी क्षमता के अनुसार दान देना लाभकारी सिद्ध होगा।