सरकारी नौकरी करने वालों के लिए बुरी खबर है

प्रमुख संवाददाता
नई दिल्ली. सरकारी नौकरी करने वालों के लिए बुरी खबर है. सरकार तीस साल की नौकरी पूरी कर लेने वाले या फिर 50 साल की उम्र पूरी कर लेने वाले सरकारी कर्मचारियों की सेवाओं का हर तीसरे महीने रिव्यू करेगी. इस रिव्यू में जो कर्मचारी भी कसौटी पर खरे नहीं उतरेंगे उन्हें रिटायर कर दिया जाएगा. सरकार ने अपने इस फैसले को जनहितकारी बताते हुए कहा है कि सरकारी नौकरी में जिस कर्मचारी की परफार्मेंस अच्छी नहीं होगी उन्हें रिटायर कर दूसरे कर्मचारियों को मौका दिया जाएगा.
सरकारी मशीनरी को शक्तिशाली बनाने के लिए यह ज़रूरी है कि जो कर्मचारी अपनी नौकरी के दौरान परफार्म नहीं कर पा रहे हैं वह दूसरे नए कर्मचारियों के लिए अपनी जगह खाली कर दें. तीस साल की सेवा कर चुके अक्षम कर्मचारियों को पेंशन देकर जनहित में रिटायर कर दिया जायेगा.

सरकार के इस फैसले में स्पष्ट बताया गया है कि अगर कोई कर्मचारी 35 साल की उम्र में सेवा में आया है और 50 साल की उम्र में उसे रिटायर किया जा रहा है तो उसे तीन महीने का नोटिस भी दिया जा सकता है और तीन महीने का वेतन देकर तत्काल भी रिटायर किया जा सकता है. जिस कर्मचारी ने तीस साल की सरकारी सेवा कर ली है उसे कम्पलसरी रिटायर किया जाता है तो उसे नियमानुसार पेंशन की सुविधा दी जायेगी. तीस साल की सेवा के बाद अगर रिटायर किया जाता है तो तीन महीने का नोटिस देकर या फिर तीन महीने का तत्काल वेतन देकर रिटायर कर दिया जायेगा.
कम्पलसरी रिटायर करने के मामले में सरकार ने हर कैडर के लिए अलग रिव्यू कमेटियां बनाने का फैसला किया है. ग्रुप ए के अधिकारियों की सेवाओं के बारे में फैसला करने के लिए रेलवे बोर्ड, पोस्टल बोर्ड, टेलीकाम आयोग और विभिन्न बोर्ड के चेयरमैन को ज़िम्मेदारी दी जायेगी.
ग्रुप बी के राजपत्रित अधिकारियों के बारे में फैसला करने के लिए संयुक्त सचिव कमेटी का हेड होगा. अराजपत्रित कर्मचारियों के बारे में विभागाध्यक्ष फैसला करेगा.
सरकार ने तय किया है कि अगर किसी कर्मचारी या अधिकारी की सत्यनिष्ठा संदिग्ध है तो उसे रिटायर कर दिया जाएगा. अपने काम के प्रति जो कर्मचारी संवेदनशील नहीं पाया जाएगा उसे भी रिटायर कर दिया जाएगा. कर्मचारियों की फिटनेस पर भी ध्यान दिया जाएगा.
इस आदेश में कहा गया है कि जो कर्मचारी अपने पद से पदोन्नत होकर वरिष्ठ पद पर जाता है तो यह माना जाएगा कि अगले पांच साल तक वह संतोषजनक काम कर सकता है. पांच साल के बाद वह कर्मचारी फिर से रिव्यू कमेटी की जांच के दायरे में आ जाएगा. हालांकि रिव्यू कमेटी प्रमोशन पाने वाले कर्मचारियों के मामले में यह ज़रूर देखेंगी कि कर्मचारी अपनी सीनियारिटी के बल पर प्रमोट हुआ है या फिर अपने एक्स्ट्राऑर्डिनरी काम के बल पर.
रिव्यू कमेटी कर्मचारियों की सत्यनिष्ठा और उनकी फिटनेस पर ज़रूर ध्यान देगी. सत्यनिष्ठा संदिग्ध होने पर कर्मचारियों को रिटायर कर दिया जाएगा. रिव्यू कमेटी कर्मचारी की एनुअल कांफीड़ेंशल रिपोर्ट (एसीआर) के आधार पर ज़रूर फैसला करेगी.
उत्तर प्रदेश डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष दिवाकर राय से बात हुई तो उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने यह नियम केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए बनाया है. केन्द्रीय कर्मचारी आन्दोलन करेंगे तो हम उनका साथ देंगे. उत्तर प्रदेश सरकार अगर यही नियम राज्य में लागू करती है तो हम विरोध करेंगे. उनका कहना है कि सरकार निजीकरण की तरफ बढ़ रही है. नौकरियों की हालत भी निजी नौकरियों जैसी बनाई जा रही है.
उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम इंजीनियर्स संघ के अध्यक्ष मिर्ज़ा फ़िरोज़ शाह का कहना है कि भारत सरकार ने यह नियम अब बनाया है. उत्तर प्रदेश सरकार तो दो साल पहले से तमाम लोगों को रिटायर करने का सिलसिला चला रही है. उनका कहना है कि लोग अब ज़ुल्म सहने के आदी हो चुके हैं. वह मॉब लिंचिंग पर नहीं बोलते. रेलवे के निजीकरण पर नहीं बोलते. पेट्रोल महंगा होता है तो नहीं बोलते. सभी लोग डरे हुए हैं. आज़म खां जेल में हैं मगर समाजवादी पार्टी चुप है. सरकार का विरोध करने की ताकत लोगों में खत्म हो चुकी है. लोग लोकतान्त्रिक होने पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं.
उनका कहना है कि किसी को रिटायर करने के लिए उसकी तीन एसीआर ही तो खराब करनी हैं. तीन एसीआर लगातार खराब होने का मतलब है कि कर्मचारी ठीक से काम नहीं कर रहा है. उनका कहना है कि प्राइवेट लोगों को जिस तरह से ईडी और सीबीआई डराती है उसी तरह से सरकारी नौकरी करने वाले नौकरी जाने से डरेंगे.
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उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के नेता आर.पी.मिश्र का कहना है कि सरकार मनमाने तरीके से रिटायर करने की साज़िश कर रही है. पब्लिक इंटरेस्ट के नाम पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने की तैयारी है. जो कर्मचारी पैसा नहीं दे पायेगा उसे रिटायर कर दिया जाएगा. रिपोर्ट देने वाले अधिकारी पैसा लेकर रिपोट देंगे.
उन्होंने कहा कि यह सरकार का असंवेदनशील नियम है. कोरोना काल के बाद इसके खिलाफ आन्दोलन चलाया जाएगा.

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