लिंगभेद कम करके भारत की GDP को होगा 46 लाख करोड़ का फायदाः मैकेंजी

gdp-in-india-54e15de87c801_l-300x214कार्यस्थलों पर यदि लिंगभेद को कम करने में सफलता हासिल किया गया तो वर्ष 2025 तक देश के सकल घरेलू उत्पाद(जीडीपी) को 46 लाख करोड़ रुपये का फायदा हो सकता है। 
 
प्रवंधन एवं सलाह देने वाली एजेंसी मैकेंजी ग्लोबल इंस्टीट्यूट की नयी रिपोर्ट ”द पावर ऑफ पैरिटी: एडवांस्ड वुमंस इक्वलिटी इन इंडिया में कहा गया है कि लिंगभेद को कम करने से अर्थव्यवस्था को काफी मदद मिल सकती है और भारत का जीडीपी 1.4 प्रतिशत वार्षिक दर से वृद्धि कर सकता है। 
 
एजेंसी ने कहा, ”लैंगिक समानता को बढ़ावा देने से दुनिया भर में अतिरिक्त आर्थिक विकास का मार्ग प्रशस्त होगा और विश्व की समृद्धि बढ़ेगी एवं इसका प्रभाव भारत में अधिक होगा। रिपोर्ट के अनुसार अभी भारत में श्रम-बल में महिलाओं की भागीदारी 31 प्रतिशत है और लिंगभेद दूर करने पर यह 2025 में 41 प्रतिशत तक हो जाएगा।
इससे कामकाजी महिलाओं की संख्या बढ़ेगी जिससे अर्थव्यवस्था में भागीदारी निभाने वाली महिलाओं की संख्या में 6.8 करोड़ की बढ़ोतरी होगी और आर्थिक तेजी का करीब 70 प्रतिशत इसी के कारण होगा। 
 
एजेंसी के निदेशक(भारत) रजत गुप्ता ने कहा, ”भारत में जीडीपी में महिलाओं का योगदान महज 17 फीसदी है जो वैश्विक औसत 37 फीसदी से काफी कम है। एजेंसी द्वारा जिन 10 क्षेत्रों का आकलन किया गया है उसमें यह सबसे बुरा औसत है। 
 
एजेंसी ने कहा कि इस रिपोर्ट में शामिल सभी 95 देशों में से 26 देशों का प्रति व्यक्ति जीडीपी और मानव विकास सूचकांक भारत से कम है। इससे पता चलता है कि अधिकांश देशों में लैंगिक समानता भारत से बेहतर है। श्री गुप्ता ने कहा, ”यदि हम कामकाज की जगहों पर लिंगभेद को समाप्त करते हैं तो निश्चित तौर पर देश की अर्थव्यवस्था समृद्ध होगी। 
 
लेकिन यह समाज में लैंगिक समानता लाये बिना एवं महिलाओं के प्रति पूर्वाग्रही द्रष्टिकोण को समाप्त किये बिना संभव नहीं है। एजेंसी ने अपने इस आकलन में पहली बार भारत में राज्यवार लैंगिक समानता का अध्ययन करने के लिए महिला सशक्तिकरण सूचकांक ‘फेमडेक्स को पेश किया।
 
इस सूचकांक के अनुसार भारत के विभिन्न राज्यों में लैंगिक समानता में भारी अंतर है। सूचकांक में शुरुआत के पाँच राज्यों मिजोरम, केरल, मेघालय, गोवा एवं सिक्किम में स्थिति संतोषजनक है और ये राज्य लैंगिक समानता के मानक स्तर के लगभग करीब हैं। वहीं, नीचे के पाँच राज्य बिहार, मध्य प्रदेश, असम, झारखंड एवं उत्तरप्रदेश की स्थिति निराशाजनक है। 

 

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