मौत के सैकड़ों साल बाद भी सुरक्षित है इस संत का शव

मौत की शुरुआत जिंदगी के साथ ही हो जाती है। सभी धर्मों में यह नियम है कि इन्सानsaint1-1443176593 के मरने के बाद उसका विधिपूर्वक अंतिम संस्कार कर दिया जाए लेकिन भारत में एक संत की पार्थिव देह उनकी मृत्यु के बाद भी रखी हुई है। उनका शव बिना किसी रसायन के सुरक्षित है और उसमें से कोई दुर्गंध नहीं आती है और न ही सड़ने की प्रक्रिया शुरू हुई। कहां है इन संत का शरीर, जानने के लिए पढ़िए आगे..

प्राचीन मिस्र में शवों को सुरक्षित रखने के लिए एक खास विधि का इस्तेमाल किया जाता था। इन शवों को ममी कहा जाता है लेकिन इन संत का शव बिना किसी विशेष विधि को आजमाए आज तक सुरक्षित है। गोवा के बेसिलिका आॅफ बोम जीसस में संत फ्रांसिस जेवियर का शव पिछले करीब 463 वर्षों से सुरक्षित है।

संत फ्रांसिस मूलतः स्पेन के राजघराने से थे। राजपरिवार की शानो-शौकत उन्हें आकर्षित नहीं कर सकी और उन्हाेंने ईसा मसीह के संदेशों का प्रचार करने के लिए अपने महल छोड़ दिए। कहा जाता है कि उनमें ईश्वर की अलौकिक शक्तियां थीं। पणजी से करीब 140 किमी की दूरी पर स्थित ओल्ड गोवा से संत फ्रांसिस का विशेष संबंध रहा है। वे ईसा मसीह के संदेश का प्रचार करने के लिए यहीं रहने लगे थे।

 

उन्होंने कई समुद्री यात्राएं भी की थीं और उस दौरान उन्होंने अपने विचारों से लोगों को बहुत प्रभावित किया। प्रचार के दौरान ही 3 दिसंबर 1552 को चीन के सांकियान द्वीप में उनकी मृत्यु हो गई। उनके शरीर को मलक्का लाया गया और अंतिम संस्कार के चार महीने बाद जब एक शिष्य ने उनका ताबूत खोला तो वह आश्चर्यचकित रह गया। उसने देखा, संत का शरीर बिल्कुल साधारण अवस्था में था।

 

इसके पश्चात संत के शव को गोवा लाया गया और यहां के संत पाॅल काॅलेज में रखा गया। वर्ष 1613 में वहां से हटाकर प्रोफेस्ड आॅफ केम जीसस में रखा गया। आज भी यह शरीर यथावत है और लोग उनके दर्शन करते हैं। श्रद्धालुओं के मुताबिक, ऐसा परमात्मा की शक्ति से ही संभव है।

 

 

 

 

 

 

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