गलत धातु में बना रत्न पत्थर के समान, नहीं होता कोई फायदा

रत्नों में ग्रहों की उर्जा को अवशोषित करने की अद्भुत क्षमता होती है। रत्नों में विराजमान अलौकिक गुणों के कारण रत्नों को ग्रहों का अंश भी माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक रत्न किसी खास धातु के लिए ही बना है। यदि किसी रत्न को गलत धातु में बनवा लिया जाए, तो या तो उसका असर नहीं होता या फिर कई बार वह गलत प्रभाव भी छोड़ जाता है।गलत धातु में बना रत्न पत्थर के समान, नहीं होता कोई फायदा

इन सभी धातुओं का भी अपना असर होता है, लेकिन ऐसा कहा जाता है कि जब ये धातु किसी खास रत्न के साथ मिला दी जाएं तो इसका प्रभाव और भी बढ़ जाता है। यही कारण है कि रत्न को किसी विशेष धातु से बनी अंगूठी में ही धारण करने की सलाह दी जाती है।

सौरमंडल में नौ ग्रह हैं, इन ग्रहों को अपने पक्ष में करने और इनका सकारात्‍मक प्रभाव पाने के लिए रत्‍न धारण किए जाते हैं। ग्रहों को मजबूती प्रदान करने के लिए भी रत्‍न पहने जाते हैं। रत्‍न अपना असर तो दिखाते हैं लेकिन इन्‍हें किस धातु में पहना जा रहा है, ये बात सबसे ज्यादा महत्‍वपूर्ण होती है।

रत्‍नशास्‍त्र के अनुसार जानें कौन सी धातु में पहनें कौन सा रत्न:

माणिक्‍य : सूर्य के रत्‍न माणिक्‍य यानि रूबी को तांबे या सोने की धातु में पहनना चाहिए। इसमें भी तांबे में पहनने से इसका असर बहुत ही लाभदायक होता है, हालांकि सोने की चमक और दिखावे के चलते लोग तांबे को कम पसंद करते हैं। माणिक्‍य रत्‍न करियर में सफलता पाने के लिए बहुत लाभकारी होता है।

पन्‍ना : यह बुध का रत्‍न माना जाता है, पन्‍ना सोने की धातु में पहनना सबसे शुभ माना जाता है। पन्‍ना रत्‍न धारण करने से बुध के शुभ फल प्राप्‍त होते हैं और आंखों की रोशनी भी तेज होती है। यह रत्न करियर में नई ऊंचाइयां प्रदान करने में सबसे ज्यादा सहायक है।

मोती : चंद्रमा का रत्‍न है मोती जो मन और मस्तिष्‍क को शांति प्रदान करता है। मोती हमेशा चांदी की धातु में ही पहना जाना चाहिए। मोती को कभी भी सोने की धातु में नहीं पहना जाता है। जिन लोगों के गुस्सा अधिक आता हो, उन्हें यह रत्न अवश्य पहनना चाहिए।

नीलम : शनि देव का रत्‍न है नीलम। इस रत्‍न को शनि को और मजबूत करने के लिए पहना जाता है। ये रत्‍न अगर किसी को सूट ना करे तो वह व्‍यक्‍ति बर्बाद हो सकता है। नीलम रत्‍न को सोने या प्‍लैटिनम की धातु में धारण करें।

पुखराज : बृ‍हस्‍पति का रत्‍न पुखराज सबसे तुरंत लाभ देने वाला रत्न माना जाता है। इस रत्न को  सिर्फ सोने की धातु में ही धारण करना चाहिए। हालांकि महंगा होने के कारण लोग इस उपरत्न सुनहैला भी पहन लेते हैं लेकिन उसका इतना अच्छा असर नहीं होता। धन की कमी हो तो इसे तांबे में भी धारण कर सकते हैं।
 
मूंगा : मूंगा का स्‍वामी मंगल है, इस रत्न को पहनने के बाद जातक प्रतिदिन नई ऊंचाइयों को प्राप्त करता है, ऐसा माना जाता है। मूंगा को सोना, चांदी या तांबे की धातु में ग्रहण किया जा सकता है। हालांकि सबसे अधिक फायदा यह तांबे की धातु में ही देता है लेकिन लोग इसे भी सोने में ही ज्यादा पहनना पसंद करते हैं।

गोमेद : राहु का रत्‍न है गोमेद, इसे किसी भी अष्टधातु, चांदी या त्रिलोह में बनवाकर पहना जा सकता है। इसकी एक खास बात यह है कि इसे पहनने से पहले, कुछ विशेष पुजा करनी होती हैं। ये पूजा पंडित या ज्योतिष आदि अपने-अपने अनुसार करवाते हैं।

लहसुनिया : केतु का रत्‍न है लहसुनिया, इसे चांदी या अष्‍टधातु बनवाकर धारण करें, यह हर कोई नहीं पहन सकता। इस रत्न को बहुत ही कम लोगों को बताया जाता है, लेकिन इसे पहनें तभी जब कोई ज्योतिषि इसकी सलाह दे।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार उपरोक्त रत्नों के अलावा भी कई प्रकार के रत्न होते हैं। हर रत्न किसी विशेष परेशानी या किसी खास मकसद से ही धारण किया जाता है। हर रत्न को धारण करने से पहले किसी ज्ञानी ज्योतिषी की राय ले लेनी चाहिए।

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