क्या भारत रिवर्स कोविड 19 संक्रमण का शिकार होने जा रहा है ?

दिनेश कुमार गर्गदिनेश कुमार गर्ग

कोविड 19 यानी कोरोना महामारी को नियंत्रित करने में भारत सरकार कहीं कुछ चूक गयी है क्या ? यह प्रश्न आज महत्वपूर्ण इसलिए है कि  कोरोना नियंत्रण के लिए विभिन्न चरणों में लागू लाॅकडाऊन 3 आज समाप्त होगा और कल से चौथा चरण शुरू होगा , जो 31 मई तक चलेगा.

याद करिये कि लाॅकडाउन के पहले-दूसरे चरण में अभूतपूर्व जन-समर्थन रहा और कोराना उस समय तक आम लोगों में केवल तबलीगियों तक या विदेश से आने वालों की वजह से  था और संक्रमण प्रसार की गति बहुत धीमी रही जिससे लगा कि इस पर लगभग काबू पा लिया गया है।

पर तीसरे चरण की समाप्ति के दिन तक पता चल रहा है कि कोरोना आम आदमी तक कामन हो गया है बराये मेहरबानी महाराष्ट्र , तमिलनाडू, तेलंगाना , गुजरात ।

प्रसार दर 5000 मरीज प्रतिदिन तक पहुंच गयी और अगले एक दो दिन में यह डबलिंग रेट 10000 तक पहुंचनेका अनुमान है।  कुल संख्या 90000 मरीज तक पहुंच गयी है। अब लगता है का अगले डेढ़ दो दिनों में यह संख्या 100000 की संख्या पार कर सकता है। यानी नियंत्रण में आते-आते अब कोरोना नियंत्रण से बाहर जाता दिख रहा है।

भारत सरकार की बडी़ चूक लाॅकडाऊन की लंबी अवधि के दुष्प्रभावों के अनुमान लगाने में हुई प्रतीत हो रही है। हम देख रहे हैं कि लाॅक डाऊन 1 के प्रथम सप्ताह में ही अचनक घोषणा से अचंभित और जो जहां वहीं फंसे लोग,प्रवासी मजदूर , तीर्थयात्री , छात्र अपने-अपने घरों की ओर लौटने के लिए सड़कों व उपलब्ध साधनों का प्रयोग करते दिखे । तब नहीं लगा कि यह लक्षण आगे चलकर एक गंभीर समस्या बनेगा।

लाॅकडाऊन के दूसरे चरण में प्रवासी  मजदूरों की घर वापसी में तेजी आती गयी जो तीसरे चरण के दौरान प्रधानमंत्री द्वारा जब चौथे चरण की बात देश को बतायी तो लगभग 1000000 लाख प्रवासी मजदूरों में हलचल मच गयी , क्योंकि प्रवास में बने रहने के लिए बंद रोजगार जल्दी खुलने के आसार खत्म हो गये तथा बचत के पैसे व राशन पानी का स्टाक भी क्षीण होने लगा।

घबडा़ये प्रवासी मजदूर बडी़ संख्या में रेल और रोड परिवहन सेवा  बन्द होने और प्रवासियों की घर वापसी की सरकारी कोई नीति न होने की हताशा में पैदल ही हर तरह का जोखिम ले सड़कों पर उतर पडे़ हैं। परिणामस्वरूप हम सबको अनेक हृदय विदारक दृश्य देखने और दुर्घटनाओंके समाचार मिले।
बडी़ संख्या में जो प्रवासी घर वापसी कर रहे हैं किसी को पता नहीं कि उनमें अब कितने एसिम्पटोमेटिक कोरोना संक्रमित  होंगे। वैसे ही तमाम प्रवासियों के किसी न किसी  बीमारी या अत्यधिक थकान के कारण भी रास्ते में उनकी मृत्यु की खबरे आने लगी हैं।

अब सब प्रवासी जो घर वापसी पर हैं वह 90 प्रतिशत ग्रामीण परिवेश के हैं और वहीं अपने गांव में जायेंगे यानी संक्रमण का दायरा अब महानगरो, नगरों से बाहर निकलकर गांवों में भारत की जडो़ में पहुंचेगा। सरकार को अब और सतर्क और विचारशील होने की आवश्यकता है।

ग्रामीण क्षेत्रों , कस्बों और छोटे-मझोले शहरों तक कोरोना-रोधी  चिकित्सा तंत्र लगभग शून्य है। भारी संख्या में कोरोना बीमारी फैली तो वे सभी बीमार इलाज के लिए कोरोना से सैनिटाइज बडे़ शहरों की तरफ रूख करेंगे .
आशंका है कि रिवर्स कोरोना स्प्रेड की घातक लहर आने वाले दिनों में चल सकती है।

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लेखक : लेखक दिनेश कुमार  गर्ग पत्रकार, शिक्षक और उत्तर प्रदेश सरकार में अधिकारी , सम्पादक रहे हैं. सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग से उप निदेशक पद से अवकाश ग्रहण करने के बाद वह स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं.  

Disclaimer : Theses are writer’s personal views.

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