कोलकाता मेट्रो में भी अपनी हिस्सेदारी बेचेगी सरकार?

जुबिली न्यूज डेस्क
केंद्र में सत्तारूढ़ मोदी सरकार सरकारी कंपनियों के निजीकरण करने को लेकर विपक्ष के निशाने पर हैं। सत्ता में आने के बाद से मोदी सरकार का निजीकरण पर विशेष जोर रहा है। इन छह सालों में मोदी सरकार ने देश की कई बड़ी-बड़ी सरकारी संस्थाओं को निजी हाथों में सौंप दिया। हालांकि इसका एक तबके ने जोरदार विरोध भी किया, बावजूद मोदी सरकार निजीकरण करने से पीछे नहीं हट रही है।
रेलवे में निजीकरण की प्रक्रिया शुरु हो चुकी है। अब खबर है कि देश की पहली मेट्रो सेवा में भी सरकार अपनी हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर रही है।
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दरअसल केन्द्र सरकार के सचिवों के समूह (Group of Secretaries (GoS)) की एक बैठक में सलाह दी गई है कि देश की पहली मेट्रो सेवा कोलकाता मेट्रो में घाटे से बचने के लिए हिस्सेदारी बेचे जाने पर विचार किया जाना चाहिए।
कोलकाता मेट्रो देश की एकमात्र मेट्रो सेवा है, जो कि भारतीय रेलवे के अन्तर्गत आती है और रेलवे द्वारा ही वह प्रशासित की जाती है।
सचिवों के समूह की बैठक में यह सलाह दी गई जब रेलवे के मुद्दे पर चर्चा के हो रही थी। बैठक के दौरान यह बात भी रखी गई कि देश के अन्य मेट्रो प्रोजेक्ट राज्य सरकार के अन्तर्गत आते हैं। वहीं कोलकाता मेट्रो भारतीय रेलवे के अन्तर्गत।
इस बैठक में वित्त, रेलवे और आवास और शहरी विकास मंत्रालय के अधिकारियों के साथ ही रेलवे बोर्ड, नीति आयोग के अधिकारी भी शामिल हुए।
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दरअसल घाटे में चल रहे कोलकाता मेट्रो को उबारने के लिए यह सलाह दी गई। यह बैठक बीती 16 जुलाई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई जिसमें इस बात पर भी चर्चा हुई कि रेलवे को उधार लेना कम करके नए तरीकों से पैसा कमाना चाहिए।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, रेलवे बोर्ड के अधिकारियों ने बैठक में कहा कि 2014-15 के मुकाबले में रेलवे का पूंजी व्यय (Capital expenditure 2019-20 में तीन गुना बढ़ गया है। इसमें 70 फीसदी खर्च अतिरिक्त बजटीय संसाधन से उधार लेकर किया जाता है।

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