केंद्र ने तेल का दाम 2.50 रुपये घटाया, कई राज्यों ने वैट कम किया

नई दिल्ली| तेल की महंगाई को लेकर विपक्ष के हमले का प्रतिकार करते हुए केंद्र सरकार ने आगामी विधानसभा चुनावों से ठीक पहले गुरुवार को पेट्रोल और डीजल के दाम में 2.50 रुपये प्रति लीटर की कटौती कर दी। केंद्र की अपील पर भारतीय जनता पार्टी शासित कुछ राज्यों ने भी तेल पर वैट (मूल्य वर्धित कर) में कटौती की घोषणा की। केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने तेल के दाम में कटौती की घोषणा करते हुए कहा कि सरकार के इस फैसले से चालू वित्तवर्ष की दूसरी छमाही में 10,500 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा। वित्तमंत्री ने कहा कि राज्यों से भी इसी प्रकार की कटौती करने की अपील की।

जेटली ने यहां एक प्रेसवार्ता में कहा कि उत्पाद कर में 1.50 रुपये प्रति लीटर की कटौती की गई है, जबकि तेल विपणन कंपनियों को एक रुपये प्रति लीटर का दबाव वहन करना होगा। उन्होंने कहा, “इस बाबत की अधिसूचना आज (गुरुवार) को जारी की जा जाएगी और उसके साथ ही कीमतें लागू हो जाएंगी।”
एक उच्चस्तरीय बैठक के बाद केंद्र सरकार ने डीजल और पेट्रोल के दाम में कटौती का फैसला लिया। बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष अमित शाह, वित्तमंत्री अरुण जेटली, पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान और रेलमंत्री पीयूष गोयल शामिल थे।
मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में अगले महीने चुनाव है जहां भाजपा को अपनी साख बचानी है। यही कारण है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी को मंजूरी प्रदान करने के एक दिन बाद पेट्रोल और डीजल के दाम में कटौती की गई है।
भाजपा अध्यक्ष के आदेश का अनुपालन करते हुए भाजपा शासित राज्य महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, असम और त्रिपुरा ने तेल के दाम पर वैट में 2.5 फीसदी की कटौती करने का एलान किया।
महाराष्ट्र में सिर्फ पेट्रोल पर वैट घटाया गया है जबकि झारखंड सरकार ने सिर्फ डीजल पर वैट में कटौती की है। केंद्र सरकार के फैसले पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कांग्रेस ने इस कटौती की हाथी जैसी बड़ी महंगाई के सामने चींटी भर की राहत करार दिया।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सरकार को तेल की कीमतें 2014 के स्तर पर लाने की चुनौती देते हुए कहा, “सरकार की यह प्रतिक्रिया घबराहट पैदा करने वाली है। राहत का कोई मतलब नहीं है क्योंकि यह कटौती नगण्य है।”
हाल ही में तेल पर वैट कटौती करने वाली केरल सरकार ने कहा कि वह अभी कर कटौती नहीं करेगी। केरल सरकार ने केंद्र से तेल की कीमत 2014 के स्तर पर लाने की मांग की और कहा कि वह तभी इसपर विचार कर सकती है।
पिछले महीने कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और आंध्रप्रदेश सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर करों में कटौती की। वित्तमंत्री ने कहा कि इस फैसले से चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में 10,500 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा, जोकि राजकोषीय घाटे का महज 0.05 फीसदी है।
उत्पाद कर में कटौती के बावजूद मंत्री ने राजकोषीय घाटा पूरा होने का भरोसा जताया और कहा कि राजस्व संग्रह में वृद्धि से कर कटौती से पड़ने वाले प्रभाव को दूर किया जाएगा। उन्होंने कहा, “सरकार का मकसद उपभोक्ताओं की क्रयशक्ति बढ़ाकर राजकोषीय घाटे का प्रभाव पड़े बगैर उन्हें राहत प्रदान करना है।” जेटली ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम को लेकर बनी अनिश्चितता और अपेक्षा से अधिक राजस्व संकलन को देखते हुए उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करने का फैसला लिया गया। उन्होंने कहा, “सरकार तभी राहत प्रदान कर सकती है जब घरेलू कारक मजबूत हों।”उन्होंने कहा कि चालू खाता घाटे (सीएडी) को छोड़कर बाकी सभी आंकड़े उत्साहवर्धक हैं।
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वित्तमंत्री ने स्पष्ट किया कि गुरुवार को जो फैसला लिया गया है उसका आशय कतई यह नहीं है कि तेल की कीमतों पर दोबारा विनियमन किया जाएगा।
उन्होंने कहा, “पिछले साल केंद्र द्वारा उत्पाद कर में रुपये की कटौती करने के बाद सिर्फ राजग शासित राज्यों ने ही तेल पर वैट में कटौती की थी।” कर कटौती की नई घोषणा से पूर्व पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 19.48 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर उत्पाद शुल्क 15.33 रुपये प्रति लीटर था।
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