पाकिस्तान की सबसे पॉपुलर सिंगर रहीं नूरजहां को दुनिया से अलविदा कहे 18 साल बीत चुके हैं। 21 सिंतबर, 1926 को जन्मी नूरजहां का असली नाम अल्लाह राखी वसाई था। 1930 से 1990 तक यानी 7 दशक तक अपनी जादुई आवाज से दर्शकों का दिल जीतने वाली नूरजहां को मल्लिका-ए-तरन्नुम का खिताब पाकिस्तान में मिला था। बीबीसी के एक लेख के मुताबिक फरीदा खानम जो कि नूरजहां की दोस्त थीं और नूरजहां की कार जब लड़कों के सामने से गुजरती थी तो धीमी हो जाया करती थीं ताकि ये दोनों मशहूर गायिकाएं उन नौजवान लड़कों को जी भर के देख सके।
गाना रिकॉर्ड करते समय नूरजहां उसमें अपना दिल, आत्मा और दिमाग सब कुछ झोंक देती थीं। वो जो ब्लाउज पहनती थीं उसका गला काफी डीप होता था और कमर से भी उसका बहुत सा हिस्सा पीछे बैठे शख़्स को साफ दिखता था। वो करीब डेढ़ बजे के आसपास रिकॉर्डिंग शुरू करती थीं लेकिन घंटे भर के अंदर उनकी पीठ पर पसीने की बूंदें दिखनी शुरू हो जाती थीं। रिकॉर्डिंग ख़त्म होतो होते वो पूरी तरह से पसीने से सराबोर होती थीं।
नूरजहां ने महान बनने के लिए बहुत मेहनत की थी और अपनी शर्तों पर जिंदगी को जिया था। उनकी ज़िंदगी में अच्छे मोड़ भी आए और बुरे भी, उन्होंने शादियां की, तलाक दिए, प्रेम संबंध बनाए, नाम कमाया और अपनी जिंदगी के अंतिम क्षणों में बेइंतहा तकलीफ भी झेली। एक बार पाकिस्तान की एक नामी शख़्सियत राजा तजम्मुल हुसैन ने उनसे हिम्मत कर पूछा कि आपके कितने आशिक रहे हैं अब तक? “तो आधे सच ही बता दीजिए”- तजम्मुल ने जोर दिया। उन्होंने गिनाना शुरू किया। कुछ मिनटों बाद उन्होंने तजम्मुल से पूछा, “कितने हुए अब तक?” तजम्मुल ने बिना पलक झपकाए जवाब दिया- अब तक सोलह! नूरजहां ने पंजाबी में क्लासिक टिप्पणी की- “हाय अल्लाह! ना-ना करदियां वी 16 हो गए ने!”
नूरजहां और नजर मोहम्मद के किस्से आज बी मशहूर हैं। कहा जाता है पाकिस्तान के टेस्ट क्रिकेटर नजर मोहम्मद का टेस्ट करियर वक्त से पहले ही नूरजहां की वजह से खत्म हो गया। दरअसल नूरजहां को पुरुष बहुत पसंद थे। कहा जाता है एक बार उनको और नजर मोहम्मद को उनके पति ने एक कमरे में रंगे हाथ पकड़ लिया। नजर ने पहली मंजिल की खिड़की से नीचे छलांग लगा दी, जिसकी वजह से उनका हाथ टूट गया। उन्होंने एक पहलवान से अपना हाथ बैठवाया लेकिन वो गलत जुड़ गया और उनको वक्त से पहले ही टेस्ट क्रिकेट से रिटायर हो जाना पड़ा।
अपने करियर के शिखर पर भी पहुंचने के बावजूद भी नूरजहां की मानवीय मूल्यों में आस्था कम नहीं हुई थी। लेखक एजाज गुल बताते हैं नूरजहां अक्सर अपने घर पर गानों का रिहर्सल किया करती थीं। एक बार वे उनसे मिलने गए तो उन्होंने चाय मंगवाई। जब वो निसार को चाय दे रही थीं तो उसकी कुछ बूंदें प्याली से छलक कर उनके जूतों पर गिर गई। वो फौरन झुकीं और अपनी साड़ी के पल्लू से उन्होंने गिरी हुई चाय की बूंदों को साफ किया। निसार ने उन्हें बहुत रोका लेकिन उन्होंने कहा, आप जैसे लोगों की वजह से ही मैं इस मुकाम तक पहुंची हूं।”
बीबीसी के मुताबिक जब 1998 में नूरजहां को दिल का दौरा पड़ा, तो उनके एक मुरीद और नामी पाकिस्तानी पत्रकार खालिद हसन ने लिखा था- “दिल का दौरा तो उन्हें पड़ना ही था। पता नहीं कितने दावेदार थे उसके! और पता नहीं कितनी बार वह धड़का था उन लोगों के लिए जिन पर मुस्कराने की इनायत की थी उन्होंने।”
ये था नूरजहां की जिंदगी का कुछ मशहूर किस्सा…