कविता- दीवाना बना गया

गरिमा राकेश गौतम

दिल मे कुछ हसरतें
जगा गया वो
मासूम सा दिल था
अरमा जगा गया वो
मैं तो सिमटी हुई थी
अपने आप में ही
मोहब्बत के फूल
खिला गया वो


कुछ ख्वाहिशों के
सपने दिखा गया वो
दिल में मीठा मीठा
दर्द दे गया वो
प्यार ऐसा जगाया
जालिम ने दिल में


नींद रातो की
चैन दिन का ले गया वो
हर पल उसकी ही
यादों में खोए रहते है
चंद क्षणों की मुलाकात में
गरिमा को दीवाना बना गया वो

कवयित्री:-गरिमा राकेश गौतम

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