नए साल के दिन इस विधि से करें भगवान गणेश की पूजा

बुधवार के दिन महादेव के पुत्र गणेश जी की विशेष पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि सच्चे मन से गणपति बप्पा की उपासना करने से जातक को मनचाहा करियर प्राप्त होता है। साथ ही जीवन में आ रहे दुख और संकट से छुटकारा मिलता है। बुधवार के दिन श्रद्धा अनुसार दान करने से कभी भी अन्न और धन की कमी नहीं होती है।

सनातन धर्म में बुधवार का दिन भगवान गणेश को प्रिय है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। साथ ही सच्चे मन से व्रत करना चाहिए। इससे सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस बार नए साल के दिन बुधवार पड़ रहा है, तो ऐसे में नए साल के दिन भगवान गणेश की उपासना करना जीवन के लिए अधिक शुभ रहेगा।

इस विधि से करें भगवान गणेश की पूजा
नए साल के दिन सुबह जल्दी उठें।
स्नान कर सूर्य देव को जल अर्पित करें।
इसके बाद विधिपूर्वक भगवान गणेश की पूजा करें।
माला और दूर्वा घास अर्पित करें।
मोदक और फल का भोग लगाएं
जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए कामना करें।
अंत में लोगों में अन्न और धन का दान करें।
भगवान गणेश की आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

गणेश मंत्र
ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥
ऊँ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥
ऊँ गं गणपतये नमो नमः
ॐ गं गणपतये नमः
“ॐ वक्रतुंडाय हुम्‌”

आर्थिक प्रगति हेतु मंत्र
ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

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