जब पत्नी ने बांधी थी पति की कलाई पर राखी, जानिए फिर क्या हुआ

भाई-बहनों के प्रेम का त्योहार रक्षाबंधन 26 अगस्त को मनाया जाएगा। बहन अपनी रक्षा का वचन लेते हुए भाई की कलाई पर राखी बांधती है और उसकी लंबी उम्र की कामना करती है। वहीं, भाई भी बहन को कुछ उपहार देने के साथ ही उसकी सुरक्षा का वचन देता है। इतिहास और पौराणिक कथाओं में इसका जिक्र मिलता है।

इतिहास में रानी करणावती ने हुंमायु को राखी भेजकर अपनी सुरक्षा की मांग की थी। वहीं, पौराणिक कथा की बात करें, तो द्रोपदी ने श्रीकृष्ण का हाथ कट जाने पर अपनी साड़ी फाड़कर उनकी कलाई में बांधा था। इसका कर्ज श्रीकृष्ण ने चीरहरण के समय द्रौपदी की लाज बचाकर चुकाया था।

श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाए जाने वाला इस त्योहार में आमतौर पर भाई की कलाई पर बहनों के राखी बांधने की ही कहानी सुनने को मिलती है। मगर, क्या आप जानते हैं कि एक पत्नी ने भी अपने पति की कलाई पर राखी बांधी थी। अगर, नहीं तो पढ़िए यह रोचक कहानी, जिसका जिक्रा पुराणों में मिलता है।

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वामनावतार नामक पौराणिक कथा के प्रसंग के अनुसार, इस त्योहार की शुरुआत एक पत्नी ने अपने पति की कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर की थी। कथा में कहा गया है कि एक बार दानवों ने देवताओं पर आक्रमण कर उन्हें हरा दिया। देवराज इंद्र की पत्नी शचि देवताओं की हार से घबरा गईं और इंद्र के प्राणों रक्षा का उपाय सोचने लगीं।

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