कब और क्यों मनाई जाती है नर्मदा जयंती?

हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर नर्मदा जयंती (Narmada Jayanti 2025) मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस तिथि पर माता नर्मदा अवतरित हुईं थीं। इसी वजह से इस तिथि को नर्मदा जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन नर्मदा नदी में स्नान करने से सभी तरह के पापों से छुटकारा मिलता है। साथ ही जीवन सफल होता है।

पंचांग के अनुसार, आज यानी 04 फरवरी (Narmada Jayanti 2025 Date) को नर्मदा जयंती मनाई जा रही है। इस अवसर पर लोग माता नर्मदा की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही स्नान करने का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि इन शुभ कामों को करने से जीवन में खुशियों का आगमन होता है। साथ ही माता नर्मदा की कृपा प्राप्त होती है। क्या आप जानते हैं कि आखिर किस कारण नर्मदा जयंती मनाई जाती है? अगर नहीं पता, तो चलिए हम आपको बातएंगे इसकी वजह के बारे में।

नर्मदा जयंती 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Narmada Jayanti 2025 Date and Shubh Muhurat)

पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि की शुरुआत 04 फरवरी को सुबह 04 बजकर 37 मिनट पर हो गई है और इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 05 फरवरी को देर रात 02 बजकर 30 मिनट पर होगा। ऐसे में आज नर्मदा जयंती मनाई जा रही है।

सूर्योदय – सुबह 07 बजकर 08 मिनट पर
सूर्यास्त – शाम 06 बजकर 03 मिनट पर
चन्द्रोदय- सुबह 10 बजकर 42 मिनट पर
चंद्रास्त- देर रात 12 बजकर 23 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 05 बजकर 23 मिनट से 06 बजकर 15 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 24 मिनट से 03 बजकर 08 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 06 बजे से 06 बजकर 27 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12 बजकर 09 मिनट से 01 बजकर 01 मिनट तक

ये है वजह
पौराणिक कथा के अनुसार, माघ माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर मां नर्मदा अवतरित हुईं थीं। इस वजह से इस तिथि पर नर्मदा जयंती मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर नर्मदा नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि सच्चे मन से नर्मदा नदी में स्नान करने से जीवन के सभी तरह के दुख और संकट से छुटकारा मिलता है। साथ ही सुख-शांति मिलती है।

पौराणिक कथा के अनुसार, देवताओं और राक्षसों के बीच कई बार युद्ध हुए, जिसके कारण देवता पाप के भागीदार बन गए। इसकी वजह से देवतागण महादेव के पास पहुंचे और उनसे पाप से छुटकारा पाने के लिए कोई उपाय पूछा। ऐसे में शिव जी ने देवताओं को पाप से मुक्ति दिलाने के लिए मां नर्मदा को उत्पन्न किया था।

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