पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव, भाजपा की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

राज्य में पंचायत चुनाव को लेकर जटिल स्थिति बन गयी है. पश्चिम बंगाल राज्य निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को नामांकन की अवधि एक दिन बढ़ाने के अपने ही फैसले को पलट दिया. नामांकन पत्र दाखिल करने की बढ़ी हुई समय सीमा आोयग ने मंगलवार को वापस ले ली. सोमवार रात राज्य चुनाव आयोग ने पर्चा दाखिल करने की अवधि एक दिन बढ़ा कर मंगलवार को बीडीओ और एसडीओ दफ्तर में नामांकन पत्र लेने की घोषणा की थी. लेकिन आयोग ने सोमवार सुबह अपने फैसले को वापस ले लिया.
 
उधर, आयोग के इस  फैसले के खिलाफ भाजपा हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पहुंच गयी. हाइकोर्ट ने भाजपा की याचिका पर सुनवाई करते हुए आयोग के फैसले पर स्थगनादेश जारी किया है. हाइकोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 23 अप्रैल को होगी. इस बीच, सुप्रीम कोर्ट भाजपा की याचिका पर बुधवार को सुनवाई करने पर सहमत हो गया है.
 
भाजपा की याचिका… 
राज्य चुनाव आयोग के सूत्रों ने बताया कि राज्य निर्वाचन आयुक्त एके सिंह ने पूर्व के उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसमें पंचायत चुनावों में नामांकन पत्र दाखिल करने की अवधि बढ़ायी गयी थी. विपक्षी पार्टियों माकपा और भाजपा  ने आरोप लगाया कि राज्य निर्वाचन आयोग को सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस ने समयसीमा बढ़ाने के पिछले आदेश को रद्द करने के लिए मजबूर किया है. राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से जारी नयी अधिसूचना में कहा गया : ऐसा लगता है कि नामांकन की तारीख बढ़ाने के लिए उच्चतम न्यायालय की ओर से कोई विशिष्ट निर्देश नहीं दिये गये हैं. लिहाजा , सभी दस्तावेजों के अध्ययन और सभी बिंदुओं पर विचार करने के बाद आयोग उस आदेश को वापस लेता है और ( पिछला ) आदेश रद्द करता है.  एक ,तीन और पांच मई को होने वाले पंचायत चुनावों के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की आखिरी तारीख 9 अप्रैल थी जबकि आयोग ने इसकी अवधि मंगलवार दोपहर तीन बजे तक के लिए बढ़ा दी थी. आयोग ने इन शिकायतों के बाद नामांकन दाखिल करने की अवधि बढ़ायी थी कि विपक्षी उम्मीदवारों को पर्चा दाखिल करने से रोका गया. नयी अधिसूचना के अनुसार , निर्वाचन आयुक्त को राज्य सरकार के विशेष सचिव तथा तृणमूल कांग्रेस की तरफ से दो पत्र मिले. इन दोनों पत्रों में आयोग के पहले के आदेश में कानून की विसंगतियों का हवाला दिया गया था.
 
उधर, सुप्रीम कोर्ट भाजपा की याचिका पर बुधवार को सुनवाई करने के लिये मंगलवार को सहमत हो गया. प्रदेश भाजपा ने राज्य निर्वाचन आयोग के निर्णय के चंद घंटों के भीतर ही शीर्ष अदालत में याचिका दायर की और प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की पीठ के समक्ष इसका उल्लेख किया. पीठ ने कहा कि यह मामला बुधवार को उसी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जायेगा जिसने मंगलवार को अपना फैसला सुनाया था. भाजपा की ओर से वकील ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि शीर्ष अदालत ने सोमवार को अपने फैसले में कहा था कि अपनी शिकायत के साथ राज्य निर्वाचन आयोग को प्रतिवेदन दिया जाये. भाटी ने कहा , ‘ उन्होंने ( राज्य निर्वाचन आयोग ) नामांकन पत्र दाखिल करने की अवधि एक दिन के लिये बढ़ायी थी परंतु अब सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के दबाव में उसने अपना आदेश वापस ले लिया है.

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उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग द्वारा अपना आदेश वापस लेने की वजह से भाजपा के प्रत्याशी अपने नामांकन दाखिल नहीं कर सके हैं. पंचायत चुनावों में नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तारीख नौ अप्रैल ही थी परंतु राज्य निर्वाचन आयोग ने इस शिकायत पर कि विपक्षी प्रत्याशियों को नामांकन दाखिल करने से रोका गया है, उसने यह समय मंगलवार अपराह्न तीन बजे तक के लिये बढ़ा दिया था. शीर्ष अदालत ने सोमवार को चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए कहा था कि राज्य निर्वाचन आयोग की दो अप्रैल की अधिसूचना के साथ ही चुनाव प्रक्रिया शुरू हो गयी है. हालांकि न्यायालय ने कहा कि यदि कोई राजनीतिक दल या प्रत्याशी लिखित में आपत्ति करता है तो राज्य निर्वाचन आयोग कानून के अनुसार इस शिकायत का तत्काल निदान करेगा. 
 
क्या है विपक्ष का आरोप
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस ने राज्य चुनाव आयोग पर दबाव बनाया कि वह अपना पिछला आदेश वापस ले. राज्य विधानसभा में माकपा के नेता सुजान चक्रवर्ती ने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग को कोई आजादी नहीं है और राज्य के मंत्रियों ने उस पर दबाव डाला है. विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए तृणमूल सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने आयोग पर दबाव बनाया था कि वह समयसीमा बढ़ाने का ‘अवैध आदेश ‘ दे. उधर, वाम मोर्चा ने कहा है कि जरूरत पड़ी तो बंगाल बंद का एलान किया जायेगा.
 
राज्य निर्वाचन आयोग को हाइकोर्ट ने दिया झटका
पंचायत चुनाव को लेकर राज्य चुनाव आयोग की मुश्किलें बढ़ गयी हैं. मंगलवार को नामांकन पत्र जमा देने के संबंध में राज्य चुनाव आयोग द्वारा जो अधिसूचना जारी की गयी थी उस पर आगामी 23 अप्रैल तक कलकत्ता हाइकोर्ट ने अंतरिम स्थगनादेश लगाया है. अदालत के निर्देश के बाद भाजपा ने दावा किया कि नामांकन पत्र फिर से जमा दिया जा सकेगा. हालांकि नामांकन पत्र जमा देने के समय को बढ़ाये जाने के संबंध में न्यायाधीश सुब्रत तालुकदार ने स्पष्ट किया कि इस संबंध में राज्य चुनाव आयोग ही फैसला लेगा. साथ ही भाजपा के दो आवेदनों के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का हवाला दिया. उल्लेखनीय है कि सोमवार को समयसीमा बढ़ाने पर भी मंगलवार को अधिसूचना को आयोग ने खारिज कर दिया था.
 
आयोग के इस फैसले को चुनौती देते हुए प्रदेेश भाजपा ने कलकत्ता हाइकोर्ट में याचिका दायर की. भाजपा की ओर से प्रदेश पार्टी महासचिव प्रताप बनर्जी ने याचिका दायर की. उनका कहना था कि उम्मीदवार असुरक्षा की भावना भुगत रहे हैं. इसलिए अदालत पुलिस पहरे में नामांकन पत्र जमा देने की व्यवस्था कराये. इस संबंध में तृणमूल सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि आयोग ने नामांकन पत्र जमा देने की जो समयसीमा बढ़ायी थी वह कानून के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि इसी आवेदन पर भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. एक ही विषय पर सुप्रीम कोर्ट और हाइकोर्ट में मामला करने की वैधता को लेकर भी उन्होंने सवाल उठाया.
 
अधिसूचना को लेकर आयोग से हुई गलती को राज्य चुनाव आयोग के महासचिव नीलांजन शांडिल्य ने स्वीकार किया. उन्होंने कहा कि उम्मीदवारों के संबंध में सोचकर ही समयसीमा को बढ़ाया गया था लेकिन बाद में देखा गया कि इसमें कानूनी जटिलताएं हैं. लिहाजा अधिसूचना को खारिज कर दिया गया. इधर, हाइकोर्ट में उसवक्त तनाव की स्थिति देखी गयी जब भाजपा की ओर से वकील देवाशीष साहा ने अदालत में पक्ष रखने की कोशिश की. वकीलों के काम बंद आंदोलन की वजह से कोई वकील अदालत में पेश नहीं हो रहा है. देवाशीष साहा को ऐसा करते देख कई वकीलों ने विरोध किया. बाद में न्यायाधीश के हस्तक्षेप से स्थिति शांत हो सकी.
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