UN में ट्रंप ने दिया बड़ा बयान, कहा- ‘चीन नहीं चाहता कि मैं अगला चुनाव जीत पाऊं’

संयुक्त राष्ट्र: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को चीन पर आगामी मध्यावधि चुनाव में अपनी रिपब्लिकन पार्टी के खिलाफ काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि व्यापार पर उनके कड़े रुख के कारण चीन चाहता है कि वह चुनाव में हार जाएं. ट्रंप नेसंयुक्त राष्ट्र में कहा, ‘‘बड़े अफसोस की बात है कि हमें पता चला है कि चीन नवंबर में होने वाले 2018 के चुनावों में मेरे प्रशासन के खिलाफ हस्तक्षेप की कोशिश कर रहा है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘वे नहीं चाहते कि मैं या हम जीत जाएं, क्योंकि मैं अब तक का पहला राष्ट्रपति हूं जिसने व्यापार पर चीन को चुनौती दी है.’’ 

अमेरिकी राष्ट्रपति ने की किम जोंग उन की तारीफ
ट्रंप ने अपने भाषण में उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन की तारीफ की, लेकिन देश पर लगी पाबंदियों को कड़ाई से अमल में रखने का आह्वान किया. परमाणु निस्त्रीकरण पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एक विशेष सत्र की अध्यक्षता करते हुए ट्रंप ने कहा कि आगामी महीनों और वर्षों में उन्हें उत्तर कोरिया से ‘बहुत अच्छी खबर’ मिलने की उम्मीद है, क्योंकि उनकी जून में सिंगापुर में उत्तर कोरिया के नेता से ऐतिहासिक मुलाकात हुई थी.

उत्तर कोरिया पर जारी रहेगा परमाणु और मिसाइल परीक्षणों पर लगा प्रतिबंध
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘किम जोंग उन को जानने का मौका मिला और मुझे वह पसंद आए. वह उत्तर कोरिया के लिए शांति और समृद्धि चाहते हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मीडिया की नजरों से दूर चीजें हो रही हैं, जिन्हें कोई नहीं जानता है और वो बहुत सकारात्मक तरीके से हो रही हैं.’’ वहीं, ट्रंप ने उत्तर कोरिया के परमाणु और मिसाइल परीक्षणों की प्रतिक्रिया में वर्षों में सुरक्षा परिषद के जरिए लगवाए प्रतिबंधों को अमल में रखने का आह्वान किया. ट्रंप ने कागज पर पहले से लिखे गए भाषण को पढ़ते हुए कहा, ‘‘परमाणु निस्त्रीकरण हो जाने तक हमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के मौजूदा प्रस्तावों को लागू रखना चाहिए.’’ 

वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति ने ईरान पर आरोप लगाया कि 2015 में परमाणु समझौता होने के बाद उसकी आक्रमकता बढ़ी और तेहरान ने प्रतिबंध हटाने का लाभ एक मिसाइल कार्याक्रम को धन मुहैया कराने में किया. ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आपने भाषण में कहा कि समझौता होने के बाद ईरान की आक्रमकता केवल बढ़ी है. ट्रंप ने कहा, ‘‘शासन ने समझौते से मिली राशि का इस्तेमाल आतंकवाद को बढ़ावा देने, परमाणु संपन्न मिसाइलों का निर्माण करने और अराजकता बढ़ाने में किया.’’ 

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