ऐसे करें सत्यनारायण भगवान की आरती, होगा सभी दुखों का नाश

हिंदू धर्म में सत्यनारायण व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। वैदिक पंचांग को देखते हुए इस महीने सत्यनारायण व्रत 15 दिसंबर यानी आज रखा जा रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भक्त इस शुभ अवसर पर भगवान विष्णु के स्वरूप श्री सत्यनारायण भगवान की पूजा करते हैं। अगर आपको श्री हरि की कृपा चाहिए तो आपको इस दिन उनकी भव्य आरती करनी चाहिए।

सनातन धर्म में सत्यनारायण व्रत सबसे शुभ व्रत माना जाता है। इस दिन भक्त भगवान विष्णु के स्वरूप श्री सत्यनारायण जी की पूजा करते हैं। यह दिन पूर्णिमा तिथि को भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह शुभ दिन पूरी तरह से भगवान विष्णु और चंद्र देव की पूजा के लिए समर्पित है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस महीने सत्यनारायण व्रत (Satyanarayan Vrat 2024) 14 दिसंबर 2024 को मनाया गया है। हालांकि जो लोग 14 दिसंबर को सत्यनारायण व्रत करने में असमर्थ हैं, तो वे भक्त 15 दिसंबर को यह व्रत कर सकते हैं।

कहते हैं इस दिन भगवान सत्यनारायण की आराधना करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है, तो आइए उन्हें प्रसन्न करने के लिए उनकी भव्य आरती करते हैं।

।।श्री सत्यनारायण जी आरती।। (Shri Satyanarayan Ji Ki Aarti)

जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
सत्यनारायण स्वामी,
जन पातक हरणा ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
रत्‍‌न जडि़त सिंहासन,
अद्भुत छवि राजै ।
नारद करत निराजन,
घण्टा ध्वनि बाजै ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
प्रकट भये कलि कारण,
द्विज को दर्श दियो ।
बूढ़ा ब्राह्मण बनकर,
कंचन महल कियो ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
दुर्बल भील कठारो,
जिन पर कृपा करी ।
चन्द्रचूड़ एक राजा,
तिनकी विपत्ति हरी ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
वैश्य मनोरथ पायो,
श्रद्धा तज दीन्ही ।
सो फल भोग्यो प्रभुजी,
फिर-स्तुति कीन्हीं ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
भाव भक्ति के कारण,
छिन-छिन रूप धरयो ।
श्रद्धा धारण कीन्हीं,
तिनको काज सरयो ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
ग्वाल-बाल संग राजा,
वन में भक्ति करी ।
मनवांछित फल दीन्हों,
दीनदयाल हरी ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
चढ़त प्रसाद सवायो,
कदली फल, मेवा ।
धूप दीप तुलसी से,
राजी सत्यदेवा ॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
श्री सत्यनारायण जी की आरती,
जो कोई नर गावै ।
ऋद्धि-सिद्ध सुख-संपत्ति,
सहज रूप पावे ॥
जय लक्ष्मी रमणा,
स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
सत्यनारायण स्वामी,
जन पातक हरणा ॥

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