ये हैं वो देवी-देवता, जिनके भक्तों पर शनिदेव नहीं करते कृपा… जानें क्यों?

जैसा के हम सभी देखते हैं की हमारे समाज में सूर्य पुत्र शनिदेव को लेकर कई तरह की भ्रांतियां और बाते सुनने को मिलती हैं | और इनमे सबसे सबसे ज्यादा यह कि वह निर्दयी, भावहीन और गुस्सैल हैं। लेकिन साथ ही हम सभी को ऐसा भी कहा जाता है की शनिदेव न्याय के देवता भी है । और भगवान शिव ने इसी कारण शनिदेव जी महाराज को नवग्रहों के न्यायाधीश का काम दिया है। उनकी कृपा जिस पर होगी, उसे जीवन में कभी किसी चीज की कमी नहीं होगी ।

 

लेकिन आज हम आपको एक ऐसी बात बताने जा रहे है जिसे जानकर आपको भी हैरानी  होगी कि जिन शनिदेव के प्रकोप से दुनिया डरती है वह भी इन देवी-देवताओं से  डरते हैं |

 

सबसे पहले जो देवता हैं जिससे शनि देव भय खाते हैं वो है पवन पुत्र हनुमान जी|इसीलिए शनि देव कभी भी हनुमान जी के भक्तों को कष्ट नहीं पहुंचाते हैं इसीलिए ऐसा कहा जाता है की हनुमान जी के केवल दर्शनमात्र से ही शनि के सभी दोषो से छुटकारा मिल जाता  हैं

 

जैसा की हम सभी जानते हैं की शनिदेव सूर्य और छाया के पुत्र हैं। एक बार सूर्य ने अपने ही पुत्र शनि को श्राप देकर उनके घर को जला दिया था। तब शनि ने तिल से सूर्य देव की पूजा करके उन्हें प्रसन्न किये थे |तभी से शनि देव की पूजा तिल से करने की पम्परा शुरू हुई |

आज ही अपनी कलाई पर बाँध लें यह चमत्कारिक चीज, पल भर में बदल जाएगी आपकी किस्मत

 

शनि महाराज के ईष्ट देव भगवान श्री कृष्ण माने जाते हैं |पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रभु के  दर्शन के लिए शनि महाराज ने कोकिला वन में कड़ी तपस्या की थी और उनकी इस तपस्या से प्रसन्न होकर यहीं कोयल रूप में श्रीकृष्ण ने शनि महाराज को दर्शन दिए थे और इसके उपरांत शनि देव ने भगवान श्री कृष्ण से कहा था की वो कभी भी उनके भक्तों के ऊपर अपना प्रकोप नहीं डालेंगे |

शास्त्रों के अनुसार शनि महाराजको पीपल से भी भय लगता है इसीलिए जो भी पिप्लाद मुनि का नाम जपेगा और पीपल के पेड़ की पूजा करेगा  तो उसके ऊपर सदैव शनि देव की कृपा बनी रहेगी

 

शनि देव अपनी पत्नी ऋतू से बहुत डरते हैं और इसलिए ज्योतिषशास्त्र में शनि की दशा में शनि पत्नी का नाम मंत्र जपना भी शनि का एक उपाय माना गया है|

 

भोलेनाथ शनि देव के गुरु हैं इसीलिए शनि देव कभी भी शिव भक्तों पर अपनी कुदृष्टि नहीं डालते हैं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button