ये हैं FIFA World Cup में दमदार प्रदर्शन करने वाले फुटबॉलर

फुटबॉल विश्व कप की शुरुआत 1930 से हुई थी। तब से लेकर आज तक विश्व कप में कई सितारे निकले, जिन्होंने अपने दम पर अपने देश को जीत दिलाई। इतिहास में ऐसे कई खिलाड़ी हैं जिन्होंने विश्व कप में दमदार प्रदर्शन किया है। तो चलिए इस कड़ी में हम बात करते हैं ऐसे खिलाडिय़ों के बारे में जो विश्व कप के सितारे साबित हुए।

मिरोस्लाव क्लोस (2006):

मिरोस्लाव क्लोस को विश्व कप इतिहास का सबसे शानदार खिलाड़ी कहा जाता है। क्लोस का जन्म तो पोलैंड में हुआ, लेकिन उन्होंने जर्मनी से खेलना शुरू किया। विश्व कप इतिहास में सबसे ज्यादा गोल करने का रिकॉर्ड इसी खिलाड़ी के नाम हैं, जिन्होंने 24 मैच में 16 गोल दागे हैं। 2006 विश्व कप जर्मनी की टीम तो नहीं जीत पाई हो, लेकिन क्लोस ने यहां सात मैच में पांच गोल दाग दिए थे। रूस विश्व कप में इस खिलाड़ी के रिकॉर्ड को तोडऩे पर सभी की निगाहें होंगी लेकिन यह इतना आसान नहीं होगा।

रोनाल्डो (2002):

बात विश्व कप की हो तो ऐसे में ब्राजील के दिग्गज खिलाड़ी रोनाल्डो को कोई कैसे भूल सकता है। विश्व कप इतिहास में सबसे ज्यादा गोल करने के मामले में रोनाल्डो दूसरे नंबर पर आते हैं। उनके नाम 19 मैचों में 15 गोल हैं। जो उनको एक बेहतरीन खिलाड़ी बनाता है। जापान में हुआ 2002 विश्व कप खिताब रोनाल्डो के दम पर ही ब्राजील ने जीता था। उस विश्व कप में उन्होंने सात मैचों में आठ गोल दागे थे और उन्हें सिल्वर गेंद मिली थी।

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गर्ड मुलर (1970) :

वेस्ट जर्मनी के गर्ड मुलर अपनी टीम को 1970 का विश्व विजेता तो नहीं बना सके थे, लेकिन इस विश्व कप में उन्होंने एतिहासिक प्रदर्शन किया था। वह विश्व कप इतिहास के एक टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा गोल करने के मामले में तीसरे नंबर पर हैं। तब गर्ड मुलर ने छह मैचों में 10 गोल किए थे। जबकि एक विश्व कप में सबसे ज्यादा गोल करने का रिकॉर्ड आज भी फ्रांस के जस्ट फोंटेन के नाम है। गर्ड को इस विश्व कप में सर्वश्रेष्ठ युवा खिलाड़ी का खिताब मिला था। इतना ही नहीं विश्व कप इतिहास में सबसे ज्यादा गोल करने के मामले में भी वह तीसरे नंबर पर हैं। उन्होंने 14 मैचों में 13 गोल दागे हैं।

गुइलेरमो स्टेबल (1930) :

अर्जेंटीना के गुइलेरमो स्टेबल की 1930 विश्व कप की कहानी बेहद ही रोचक है। स्टेबल ने इस विश्व कप में चार मैचों में आठ गोल किए थे। विश्व कप के दौरान ही वार्नेल परोडा को हटाकर स्टेबल को कप्तान बनाया गया था, लेकिन 25 वर्ष के स्टेबल कॉलेज की परीक्षा की वजह से छुट्टी लेकर इस विश्व कप से चले गए थे, लेकिन चार मैचों में किया गया उनका प्रदर्शन बेहद ही यादगार बन गया।

लुइस मोंटी (1934) :

लुइस मोंटी दुनिया के पहले ऐसे खिलाड़ी हैं जो दो अलग-अलग देशों से विश्व कप का फाइनल खेले थे। लुइस 1930 विश्व कप में अर्जेंटीना की ओर से खेले, लेकिन टीम फाइनल में उरुग्वे से हार गई थी। इसके बाद 1934 का विश्व कप वह इटली की ओर से खेले। इस बार इटली ने विश्व कप का खिताब जीत लिया था।

लियोनिदास डा सिल्वा (1938) :

ब्राजील के लियोनिदास डा सिल्वा दुनिया के पहले ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने बायसाइकिल किक लगाकर गोल दागा था। सिल्वा को ब्लैक डायमंड के नाम से लोग जानते थे। वह दुनिया के पहले खिलाड़ी हैं, जिन्होंने गोल की हैट्रिक लगाई थी। उनके गोलों की बदौलत ही ब्राजील ने पोलैंड को अहम मुकाबले में 6-5 से शिकस्त दी थी। क्वालीफाइंग राउंड में चेकोस्लोवाकिया के खिलाफ ही उन्होंने बायसाइकिल किक लगाकर गोल किया था।

जुआन एल्बर्टो (1950) :

जुआन एल्बर्टो उरुग्वे की ओर से 1950 विश्व कप खेले। जुआन की खासियत उनकी फिनिशिंग और अनुभव था। उनके पास खेल की दृष्टि के साथ ही अच्छी पास करने की क्षमता थी। 1946 से 1954 के बीच उन्होंने उरुग्वे के लिए 21 मैच में आठ गोल किए थे। 1955 से 1958 के बीच वह इसके बाद इटली की टीम में शामिल हो गए थे।

फैरनेस पुस्कस (1954) :

फैरनेस पुस्कस के आकड़े चौंकाने वाले हैं। अमेरिका के इस खिलाड़ी ने 84 मैचों में 83 गोल दागे थे, लेकिन पुस्कस ने 29 साल की उम्र में संन्यास ले लिया था। यही नहीं, रीयल मैड्रिड के लिए भी उन्होंने 37 मैचों में 35 गोल दाग दिए थे। 1954 विश्व कप में वह सिर्फ तीन ही मैच खेल सके थे, लेकिन तीन मैचों में उन्होंने चार गोल दागे। उनके बाएं पैर में जादू था। चोटिल होने की वजह से उनका करियर ज्यादा आगे तक नहीं बढ़ पाया था।

दीदी (1958) :

दीदी ब्राजील के सर्वश्रेष्ठ फुटबॉलरों में से एक थे। 1958 विश्व कप में बड़ी मुश्किल से उन्हें 30 साल की उम्र में खेलने का मौका मिला। उन्हें टीम में इसीलिए नहीं लिया जाता था क्योंकि उन्होंने गोरी लड़की से शादी की थी। उनके पास 40 गज की दूरी से शॉट मारने की क्षमता थी। बनाना किक उनका पसंदीदा शॉट था। स्पेन में रीयल मैड्रिड से भी उन्होंने खेला।

पेले (1958) :

ब्राजील के पेले के बारे में तो सभी जानते हैं। पेले विश्व कप में गोल करने वाले सबसे युवा खिलाड़ी बने थे। वह उस वक्त सिर्फ 17 साल के थे। पेले दुनिया के एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हैं, जो तीन बार विश्व विजेता टीम में शामिल रहे हैं। पेले के टीम में रहते ब्राजील ने 1958, 1962, 1970 का विश्व कप जीता था।

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