पंजाब की इस इमारत में दफन है आजादी केे मतवालाें के राज

फिरोजपुर। खंडहर सी दिखने वाली यह इमारत खुद में आजादी के आंदाेलन का गौरवान्वित करने वाला इतिहास समटे हुए हैं। इसके अंदर आजादी के मतवालों के राज दफन हैं। यह अमर शहीद भगत सिंह और उनके साथियों का गुप्‍त ठिकाना थी और यहां क्रांति की योजनाएं बनती थीं। फिरोजपुर शहर के तूड़ी बाजार (मोहल्ला शाहगंज) स्थित इस दोमंजिली इमारत से देश में काफी समय तक क्रांति की चिंगारी फूटती रही। क्रांतिकारियों ने इस इमारत को 10 अगस्त 1928 से 9 फरवरी 1929 तक गुप्त ठिकाने के रूप में प्रयोग किया था।पंजाब की इस इमारत में दफन है आजादी केे मतवालाें के राज

तूड़ी बाजार स्थित गुप्त ठिकाने से ही वेश बदलकर क्रांतिकारी चलाते थे गतिविधियां

इतिहासकार राकेश कुमार बताते हैं कि लाहौर षड्यंत्र केस के दस्तावेजों व केस में फिरोजपुर के 19 गवाहों के बयानों से यह बात साफ होती है कि क्रांतिकारियों ने तूड़ी बाजार की दो मंजिला इमारत को इसलिए क्रांतिकारी गतिविधियों के संचालन के लिए चुना था, ताकि वह आसानी से दिल्ली, लाहौर व कलकत्ता तक आ-जा सकें। इसका कारण यह था कि आवागमन के लिए रेलगाड़ी की सुविधा फिरोजपुर से ही उपलब्ध थी।

लाहौर षड्यंत्र केस में फिरोजपुर के 19 गवाहों के बयान से खुला गुप्त ठिकाने का राज

राकेश कुमार के अनुसार, इसी ठिकाने से आंदोलन के दौरान प्रयोग होने वाले असलहे, पुस्तकें व अन्य सामानों को एकत्र कर आगे भेजा जाता था। भगत सिंह के पास से जो पिस्तौल बरामद हुई थी, उसे इस ठिकाने पर कई बार देखा गया था। यहीं पर क्रांतिकारी निशानेबाजी का अभ्यास करते थे।

निगम फार्मेसी के लिए किराये पर ली गई थी इमारत

क्रांतिकारी डॉ. गया प्रसाद ने इस इमारत को निगम फार्मेसी के नाम से किराये पर लिया था। इसमें वह डॉ. निगम के नाम से प्रैक्टिस करते थे। दिखाने के लिए नीचे दवाखाना चलता था, जबकि ऊपरी मंजिल से क्रांतिकारी गतिविधियां संचालित होती थीं। राकेश कुमार के अनुसार, इस ठिकाने पर भगत सिंह व चंद्रशेखर आजाद कई अन्य नामी क्रांतिकारी रहे थे। ये लोग यहीं से वेश बदलकर अपनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए आवागमन करते थे।

धोती व कमीज पहनकर दिल्ली गए थे भगत सिंह

राकेश कुमार के मुताबिक, क्रांतिकारी जय गोपाल ने अदालत में अपने बयान में कहा था कि सुखदेव के आने पर उन्होंने, क्रांतिकारी डॉ. निगम और सुखदेव ने भगत सिंह के बाल व दाढ़ी काटी थी। फिर वह धोती व कमीज पहनकर दिल्ली गए थे।

क्रांतिकारियों ने रखे थे उपनाम

क्रांतिकारी शिव वर्मा ने अपना नाम राम नारायण कपूर एवं बड़े भाई साहब रखा था। क्रांतिकारी विजय कुमार सिन्हा ने बच्चू, महाबीर सिंह ने प्रताप सिंह, चंद्र शेखर आजाद ने पंडित जी व जय गोपाल ने अपना नाम गोपाल रखा था। सुखदेव को बलेजर के नाम से पुकारा जाता था।

क्रांतिकारी प्रेम दत्त ने भी बनाया था फिरोजपुर में गुप्त ठिकाना

राकेश कुमार के अनुसार, क्रांतिकारी पार्टी ने एक और क्रांतिकारी प्रेम दत्त को मार्च 1929 के अंत में फिरोजपुर में टाइप सीखने के लिए भेजा था। वह फिरोजपुर शहर स्थित कूचा पटवारिया में लगभग 25 दिन किराये पर रहे। दत्त से मिलने के लिए एक और क्रांतिकारी किशोरी लाल 12 अप्रैल को आए थे। बाद में किशोरी लाल के लाहौर में पकड़े जाने की सूचना मिलने पर प्रेम दत्त उसी समय लाहौर रवाना हो गए।

वह लाहौर के गोवाल मंडी के उत्तम निवास हाउस में पार्टी के गुप्त ठिकाने से किताबें व अन्य सामान लेकर अपने घर गुजरात चले गए थे। गिरफ्तार होने पर दत्त ने अपने बयान में माना था कि वह फिरोजपुर में टाइप सीखने गए थे। फिरोजपुर शहर के गवाह राम लाल, मुकंद लाल, बसाऊ राम व रोशन लाल ने दत्त की शिनाख्त की थी कि वह फिरोजपुर आए थे। दत्त के पास पड़ोसी राम लाल से उधार ली दो पुस्तकें भी गुजरात से बरामद हुई थीं।

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