आईए जानें वट सावित्री व्रत का महत्व…

वट सावित्री 19 मई को है। ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन वट सावित्री का व्रत रखा जाता है। अमावस्या तिथि 18 मई को रात में 9:02 मिनट से प्रारंभ होगी और 19 मई को रात 8: 32 मिनट तक रहेगी। ऐसे में वट सावित्री का व्रत 19 मई को ही रखा जाएगा। उन्होंने बताया कि मान्यताओं के अनुसार वट सावित्री के दिन सुहागिन महिलाएं वट यानी बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इस पेड़ में भगवान विष्णु, ब्रह्मा जी और शिवजी का वास है। इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा करने से पति और परिवार को सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है और पति की अकाल मृत्यु का खतरा टल जाता है।

पूजा- विधि

  • इस पावन दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
  • घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
  • इस पावन दिन वट वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व होता है।
  • वट वृक्ष के नीचे सावित्रि और सत्यवान की मूर्ति को रखें।
  • इसके बाद मूर्ति और वृक्ष पर जल अर्पित करें।
  • इसके बाद सभी पूजन सामग्री अर्पित करें।
  • लाल कलावा को वृक्ष में सात बार परिक्रमा करते हुए बांध दें।
  • इस दिन व्रत कथा भी सुनें।
  • इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।

वट सावित्रि पूजा सामग्री की लिस्ट

  • सावित्री-सत्यवान की मूर्तियां
  • बांस का पंखा
  • लाल कलावा
  • धूप
  • दीप
  • घी
  • फल
  • पुष्प
  • रोली
  • सुहाग का सामान
  • पूडियां
  • बरगद का फल
  • जल से भरा कलश
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