शिक्षक भर्ती घोटाला: मथुरा के बीएसए संजीव कुमार सिंह हुए निलंबित

लखनऊ। शासन ने मथुरा में फर्जी शिक्षक भर्ती घोटाले को गंभीरता से लेते हुए मथुरा के तत्कालीन बीएसए संजीव कुमार सिंह को निलंबित कर दिया है। उनके खिलाफ संयुक्त शिक्षा निदेशक, कानपुर मंडल को विभागीय जांच सौंपी गई है। संजीव सिंह का करीब 15 दिन पहले मथुरा बीएसए के पद से सहायक उप शिक्षा निदेशक, एनसीईआरटी लखनऊ के पद तबादला हो गया था। निलंबन के दौरान संजीव कुमार सिंह शिक्षा निदेशक (बेसिक) शिविर कार्यालय, निशातगंज लखनऊ से संबद्ध रहेंगे। विशेष सचिव देव प्रताप सिंह ने इस बाबत शासनादेश जारी किया है। शिक्षक भर्ती घोटाला: मथुरा के बीएसए संजीव कुमार सिंह हुए निलंबित

शिक्षक भर्ती में बड़ा खेल 

मथुरा में शिक्षक भर्ती में बड़ा खेल हुआ था। इस बाबत शिक्षा निदेशक (बेसिक) ने जांच भी की थी। उन्होंने 19 जून, 2018 को मथुरा के परिषदीय विद्यालयों में अनियमित रूप से की गई नियुक्तियों की जांच आख्या शासन को सौंपी थी, जिसके अनुसार 19 दिसंबर, 2016 के शासनादेश के अनुरूप परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में 12460 पदों पर चयन की कार्रवाई प्रारंभ की गई थी। चयन में आवेदित अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग व नियुक्ति पत्र निर्गत करने के लिए शासन ने 16 अप्रैल, 2018 को आदेश जारी किया था, जिसके अनुपालन में जिलों में काउंसिलिंग हुई और एक मई को नियुक्ति पत्र निर्गत किए गए थे। मथुरा में 216 पदों के सापेक्ष कुल 185 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र निर्गत किए गए, जिनमें 25 अथ्यर्थी ऐसे थे जिनकी प्रशिक्षण की योग्यता डीएड थी। वे चयन के लिए अनुमन्य नहीं थे तथा सात ऐसे अभ्यर्थी थे, जिन्होंने मथुरा में प्रशिक्षण नहीं किया था।

प्रशिक्षण में सात अभ्यर्थियों का नाम

नियमानुसार उनका भी चयन नहीं किया जा सकता था। इससे स्पष्ट है कि चयन सूची में न्यूनतम प्रशिक्षण अर्हता न रखने वाले 25 तथा गैर जिलों में प्रशिक्षण करने वाले सात अभ्यर्थियों का नाम शामिल किया गया। इसके अलावा जुलाई 2013 में परिषदीय उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 29334 सहायक अध्यापक के पदों पर चयन की कार्रवाई की गई थी। मथुरा में मूलरूप से 257 पदों पर चयन की कार्रवाई हुई थी, जिसके सापेक्ष 21 सितंबर, 2015 को सामूहिक रूप से अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र निर्गत किए गए थे। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी मथुरा ने 13 दिसंबर, 2017 को विज्ञप्ति प्रकाशित की गई थी और ऐसे अभ्यर्थियों को कार्यभार ग्रहण करने का निर्देश दिया गया था, जिन्होंने किसी कारणवश पहले कार्यभार ग्रहण नहीं किया था। मथुरा में कार्यभार ग्रहण न करने वाले अभ्यर्थियों की संख्या केवल 41 थी, जबकि 13 दिसंबर, 2017 को जारी विज्ञप्ति के क्रम में कुल 108 अभ्यर्थियों ने कार्यभार ग्रहण किया।

कार्यालय से जमा नहीं किए गए थे मूल दस्तावेज 

बीएसए मथुरा ने विज्ञप्ति में स्पष्ट किया गया था कि अभ्यर्थी अपने मूल अभिलेख कार्यालय में जमा करेंगे, लेकिन मूल अभिलेख कार्यालय में जमा नहीं किए गए। अभ्यर्थियों को संबंधित प्रधानाध्यापक द्वारा बिना खंड शिक्षा अधिकारी के लिखित आदेश के विभिन्न तारीखों में कार्यभार ग्रहण कराया गया। कार्यभार ग्रहण करने की अंतिम तारीख 19 दिसंबर, 2017 निर्धारित थी, लेकिन कई अभ्यर्थियों को 2018 में भी कार्यभार ग्रहण कराया गया। ऐसे में इन अनियमितताओं की जानकारी बीएसए व खंड शिक्षा अधिकारियों को नहीं है, इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। इस बाबत शिकायतें मिलने के बाद भी बीएसए ने उनका संज्ञान नहीं लिया गया था। जो 108 नियुक्ति पत्र निर्गत किए जाने संबंधी डिस्पैच रजिस्टर (22 सितंबर, 2015 से 31 मार्च, 2016) गायब है, जिसका कोई संतोषजनक उत्तर पटल सहायक लता पांडेय द्वारा नहीं दिया गया।

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