विरासत बचाने के लिए साथ खड़े हैं दोनों ‘शहजादे’: महासचिव शशिकला सूबे

चेन्नई: तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी एआईएडीएमके की महासचिव शशिकला सूबे की अगली सीएम होंगी. इससे पहले, पार्टी की बैठक में तमिलनाडु के सीएम ओ पनीरसेल्वम ने गद्दी छोड़ने की पेशकश की और शाम को अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया है.  AIADMK के विधायकों ने शशिकला को विधायक दल का नया नेता चुना है. शशिकला परसों मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकती हैं.विरासत बचाने के लिए साथ खड़े हैं दोनों 'शहजादे': महासचिव शशिकला सूबे

पनीरसेल्वम के इस्तीफे के बाद शशिकला के सीएम बनने का रास्ता साफ हो गया. खुद पनीरसेल्वम ने सीएम पद के लिए शशिकला के नाम की पेशकश की. पार्टी के तरफ से शशिकला के सीएम बनने को लेकर जानकारी दी गई है और कहा गया है कि पार्टी महासचिव शशिकला अगली सीएम होंगीं. 

अम्मा के सिद्धांतों पर चलेगी सरकार- शशिकला

विधायक दल की नेता चुनी जाने पर शशिकला ने कहा, “हमारी अम्मा के निधन के बाद पनीरसेल्वम ही वो शख्स हैं जिन्होंने सबसे पहले मुझे सीेएम बनने के लिए जोर दिया.” इसके साथ शशिकला ने कहा कि तमिलनाडु की सरकार हमेशा ही जनता की भलाई के लिए काम करती है और अम्मा के दिखाए रास्ते और सिद्धांत पर चलेगी.

तमिलनाडु की तीसरी महिला सीएम होंगी
जयललिता के निधन के बाद शशिकला पार्टी की महासचिव चुनी गई थी. 31 दिसंबर 2016 को शशिकला पार्टी महासचिव चुनी गई थीं. तमिलनाडु में शशिकला को ही जलललिता का राजनीतिक वारिस माना जाता रहा है और अब वो राज्य की अगली सीएम बनने जा रही हैं. जानकी रामाचंद्रन और जयललिता के बाद शशिकला तीसरी महिला होंगी जो तमिलनाडु के सीएम की कुर्सी संभालेंगीं.

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क्या होंगी चुनौतियां?

वरिष्ठ पत्रकार आर राजगोपालन का कहना है कि शशिकला सीेएम तो बन गई, लेकिन उनके सामने चुनौतियां बहुत ही ज्यादा हैं, क्योंकि पार्टी में काफी फूट है. उनका कहना है कि राष्ट्रपति चुनाव के दौरान पार्टी के भीतर जो असंतोष है उसे उबरने का बल मिल सकता है. बताया जाता है कि पार्टी के भीतर दो गुट हैं एक गुट पीएम नरेंद्र मोदी के पक्ष में है तो दूसरा गुट इसके खिलाफ है. राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी को अपने कैंडिडेट को जिताने के लिए AIADMK के समर्थन की सख्त जरूरत होगी और उस दौरान पार्टी का कलह जमीन पर आ सकता है.

शशिकला के लिए परेशानी की बात ये है कि वो कभी भी सीधे तौर पर राजनीति की खिलाड़ी नहीं रही हैं. कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा और पर्दे के पीछे से ही पार्टी को संभालती रही हैं. ऐसे में उन्हें अपने सक्रिय राजनीति की अनुभवहीनता का खमियाजा भुगतना पड़ सकता है.

शशिकला के लिए तीसरी बड़ी परेशानी ये है कि उनके सामने जो विपक्ष है वो काफी मजबूत है.

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कौन हैं शशिलकला?
शशिकला नटराजन थेवर समुदाय से हैं. उनका प्रभाव जयललिता के करीबी लोगों में है और जयललिता के जीवन में वो परदे के पीछे से पार्टी का काम देखती रही थी और इसके लिए उन्हें जयललिता का आशिर्वाद प्राप्त था.

शशिकला जयललिता की सबसे करीबी मानी जाती रही हैं, एक जमाने में ये भी कहा जाता था कि जयललिता के हर फैसले के पीछे शशिकला का हाथ होता था. हालांकि, दोनों के रिश्तों में कई बार खटास भी देखी गई.

जयललिता को कैसे मिली थी पार्टी की कमान?
एमजीआर की मृत्यु के बाद जयललिता को उनका उत्तराधिकारी बनाने के लिए एमजीआर की पत्नी जानकी से एक तीखा चुनाव लड़ना पड़ा. जानकी खुद अपना चुनाव हार गईं. जयललिता नेता विपक्ष बनने के साथ ही एमजीआर की असली उत्तराधिकारी बन गईं.

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जयललिता से कैसे मिली थीं शशिकला?
शशिकला विभिन्न आयोजनों में जयललिता के साथ लगातार नजर आईं, चाहे वह चुनाव प्रचार हो या उनका विशेष वाहन. विरोधियों ने शशिकला को ‘जयललिता की परछाई’ तक कहना शुरू कर दिया था. वह एक वीडियो कंपनी मालिक के रूप में 1980 के दशक में जयललिता के संपर्क में आई थीं.

जब जयललिता ने शशिकला को घर से निकाल दिया!
शशिकला को जयललिता बेहद करीबी दोस्त बताया जाता है लेकिन इन दोनों की दोस्ती में एक ऐसा समय भी आया जब शशिकला को जयललिता ने अपने घर से निकाल दिया. लेकिन शशिकला के सार्वजनिक रूप से मांफी मांगने के बाद दोबारा अपने घर में जगह दी. सिर्फ घर में ही नहीं राजनीति में शशिकला की वापसी हुई.

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जयललिता की भतीजी दीपा ने भी किया दावा
जयललिता की भतीजी दीपा भी सक्रिय राजनीति में उतर सकती हैं. दीपा ने एबीपी न्यूज से बात करते हुए कहा था कि वो तमिलनाडु के लोगों से मिलकर विकल्पों पर विचार करेंगी. दीपा ने कहा था कि मैं अपना राजनीतिक सफर मैं सही समय पर शुरू करूंगी. दीपा 24 फरवरी को कोई बड़ा एलान कर सकतीं हैं. आपको बता दें 24 फरवरी जयललिता की जयंती है.  जानकारों की माने तो दीपा में उनकी बुआ जयललिता की झलक भी दिखती है. कुछ दिन पहले ही एक पोस्टर जारी हुआ था जिसमें उन्हें जयललिता के अंदाज में ही दिखाया गया था.

 
 
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