फिजा में तिलकुट की सोंधी खुशबू, महक उठे बाजार

लाई, चूड़ा, तिलवा, तिलकुट, दूध और दही की जमकर हो रही खरीदारी, खोवा और ड्राई फ्रूट तिलकुट की अलग-अलग वैरायटी लोगों को कर रही आकर्षित, शुगर फ्री तिलकुट है खास

सुरेश गांधी

वाराणसी। मकर संक्रांति की तैयारी शुरू हो चुकी है। फिजा में घुली तिलकुट की सोंधी खुशबू इसका एहसास करा रही है। शहर से लेकर देहात तक में सभी चैक-चैराहों पर तिलकुट के कई वेरायटी उपलब्ध हैं। इसके साथ चूड़ा, लाई सहित अन्य सामानों के दुकान सज चुके हैं। इससे तिलकुट और गुड के सुगंध से बाजार गमगमा चुका है। खरीदारी के लिए बाजार में ग्राहकों की भीड़ है। बाजार में ब्रांड पैक तिलकुट के अलावा लोकल तिलकुट की डिमांड सबसे अधिक है। खोवा व सफेद तिल का तिलकुट ग्राहक सबसे अधिक पसंद कर रहे है। गुड़ वाली तिलकुट भी लोगों को काफी पसंद बनी हुई है। बता दें, तिलकुट लाई मुरही शक्कर दूध दही और चूड़ा की खरीदारी और इंतजाम में लोग जुट गए हैं। खासकर इस बार बाजार में शुगर फ्री तिलकुट भी उपलब्ध हैं। बाजार में खोवा और ड्राई फ्रूट तिलकुट की अलग-अलग वैरायटी भी उपलब्ध है। इसके अलावा इलायची और सौंफ मिलाकर फ्लेवर वाला तिलकुट भी बनाया गया है। रेवड़ी और बिस्किट वाली तिलकुट की मांग जाड़े में अधिक रहती है। बाजार में तिलकुट के अलावा तिल बिस्कुट से लेकर रेवड़ी भी खास है। रामदाना का ड्राई फ्रूट्स के साथ 350 रुपये प्रति किलो में उपलब्ध है। चीनी और गुड़ का तिलकुट 240 से 320 रुपये, खोवा तिलकुट 450 रुपये, सफेद और काला तिल का लड्डू 300 रुपये में उपलब्ध है।

शहर के पांडेयपुर, लहुराबीर, भोजूबीर, अर्दलीबाजार, मैदागिन, नई सड़क सहित पूरे शहर में तिलकुट, लाई, तिलवा आदि की दुकानें लगायी गयी है। बाजार में वैसे तो महंगे तिलकुट भी दुकानों पर रखी गयी थी, लेकिन सामान्य तौर पर 240 से 280 के बीच की कीमत के तिलकुट की लोगों ने अधिक खरीदारी की। चूड़ा साधारण 30 रुपये, कतरनी 60 रुपये, मालभोग और मरीचा चूड़ा 80 रुपये बिका। गुड़ के भाव 40 से 50 रुपये के बीच रहे वहीं मूढ़ी का लाई 80 रुपये किलो बेचा जा रहा है। लोगों का कहना है कि डायबिटीज के मरीजों के लिए शुगर-फ्री तिलकुट बाजार में मिल रहे हैं। गुड़ और चीनी के तिलकुट 240 और शुगर फ्री 300 रुपए की दर से मिल रहा है। तिल पापड़ी 240, रेवड़ी 140, खोया का तिलकुट 340 रुपए प्रति किलो वहीं, लाई 20 रुपए पैकेट, चूड़ा लाई 20 रुपए पैके मिल रहा है।

वैज्ञानिक फायदे
तिलकुट खाने के अपने वैज्ञानिक फायदे भी हैं। डॉ एसके जायसवाल के अनुसार तिलकुट में तिल होता है, जिसकी तासिर गर्म होती है। ठंड में तिल खाने से लोगों मौसम का असर कम होता है। आयुर्वेदिक दवाओं में भी तिल का इस्तेमाल होता है। तिलकुट खाने से कब्ज जैसी समस्या नहीं होती है और यह पाचन क्रिया को भी बढ़ाता है। सर्दी में तिल खाना स्वास्थ्य और वैज्ञानिक दृष्टि से अच्छा माना जाता है। इसलिए मकर संक्रांति के दिन तिल खाने और दान की परंपरा रही है।

सूर्य मंत्र के जाप से मिलेगा मनचाहा फल
सूर्य के मकर राशि में प्रवेश पर उसकी किरणों से अमृत की बरसात होने लगती है। इस दिन से सूर्य उत्तरायण होते हैं। इसलिए मकर संक्रांति पर सूर्य की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसे में अगर भाषा व उच्चारण शुद्ध हो तो आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ अवश्य करें, क्योंकि यह एक बहुत ही फलदायक होता है। कहते हैं अगर मकर संक्रांति पर विशेष पांच सूर्य मंत्र का जाप किया जाए तो लाभ ही लाभ होता है।

इन पांच मंत्रों का करें जाप
ॐ घृणि सूय्र्यः आदित्यः। ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्त्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा। ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकरः। ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ। ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः।

बनने लगे है पकवान
बाजार से कच्चा सामग्री खरीद कर घर में महिलाएं परंपरागत पकवान तैयार करने में जुटी हैं। इससे बाजार में खरीदारी को महिलाओं की खासी भीड़ दिखी। बता दें, पर्व में अभिभावक पुरानी परंपराओं का बखूबी निर्वहन कर अपने बेटी, बहन आदि के घर खिचड़ी भी पहुंचाते हैं। इसलिए लाई, तिलवा आदि घरों में सप्ताहभर पूर्व बनाने का शुरू कार्य अब अंतिम दौर में हैं।

खूब बिक रही पतंग
मक्रर संक्रांति पर पतंगबाजी का भी चलन है। शहर के चैराहों से लेकर गलियों तक में पतंग, मांझे की दुकानों पर खरीदारी को बच्चों और युवाओं की भीड़ उमड़ रही है। पिछले साल की तुलना में इस साल पतंग-मांझे का दाम अधिक होने के बाद भी ग्राहकों का उत्साह कम नहीं हो रहा है। मकर संक्रांति पर्व में महज अब एक दिन का समय शेष रह गया है। लोक आस्था के इस पर्व को लेकर गंगा घाटों पर भी श्रद्धालुओं की अधिक भीड़ उमड़ती है। दालमंडी और औरंगाबाद इलाकों में पतंग-मांझे का कारोबार थोक में होता है। दोपहर में इन बाजारों में ग्राहकों की अधिक भीड़ रही। हाल यह रहा कि औरंगाबाद में कुछ देर के लिए जाम जैसी स्थिति हो गई। यहां पर थोक के साथ ही फुटकर में भी पतंग और परेती खरीदने के लिए लोग उमड़े। यही हाल शहर के विभिन्न इलाकों की बाजारों में रहा।

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