शिया वक्फ बोर्ड ने इराक से मंगवाया फतवा, विवादित जमीन पर मस्जिद जायज नहीं
शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने राम मंदिर को लेकर अपने दावे को फतवे के जरिए और पुख्ता करने की कोशिश की है. उन्होंने इराक से फतवा मंगवाया है, जिसमें कहा गया है कि विवादित संपत्ति पर मस्जिद जायज नहीं है. इसके अलावा रिजवी ने अपने लिए भी एक फतवा मंगवाया है, जिसमें यह कहा गया है कि इस्लाम से खारिज करने का अधिकार किसी मौलाना और मौलवी को नहीं है.
वसीम रिजवी ने इराक के शिया धर्मगुरु आयतुल्लाह आगा-ए-शीस्तानी पूछा था कि क्या विवादित भूमि पर मस्जिद बनाई जा सकती है? इस पर उनका जवाब आया है कि इस्लामिक सिद्धांतों के अनुसार ऐसा करने की इजाजत नहीं है.
बता दें कि वसीम रिजवी लगातार इस बात की मुहिम चला रहे हैं कि अयोध्या में बनी बाबरी मस्जिद मंदिर तोड़कर बनाई गई थी, इसलिए इस मस्जिद को वहां से दूसरी जगह शिफ्ट किया जाना चाहिए.
वसीम रिजवी के इस बात को लेकर अगस्त में कानपुर के एक शख्स ने अयातुल्लाह शीस्तानी से फतवा मांग कर पूछा था कि क्या मस्जिद की जमीन या वक्फ की जमीन किसी मंदिर या गैर- मजहब के पूजा घरों के लिए दी जा सकती है, जिस पर अयातुल्लाह सिस्तानी ने कहा था कि यह जमीन दूसरे मजहब को नहीं दी जा सकती.
गौरतलब है कि वसीम रिजवी को हाल ही में शिया समुदाय ने इस्लाम से खारिज कर दिया गया था. लखनऊ में शिया मौलाना ने रिजवी को इस्लाम से खारिज किया तो इस पर भी वसीम रिजवी ने आयतुल्लाह आगा-ए-शीस्तानी से फतवा मांगा जिस पर नया राय दी है कि किसी भी मुसलमान को जो नमाज पढ़ता है उसे इस्लाम से खारिज करने का हक किसी मौलाना और मौलवी को नहीं है.
रिजवी ने कहा कि आयतुल्लाह आगा-ए-शीस्तानी का फतवा पूरी दुनिया में माना जाता है. ऐसे में मुस्लिम समाज के लोगों को अब अयोध्या मसले पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए.