आरुषि मर्डर केस में SC में अहम सुनवाई से बढ़ सकती हैं राजेश व नूपुर मुश्किलें

नई दिल्ली। नोएडा के बहुचर्चित आरुषि-हेमराज हत्याकांड में एक बार फिर तलवार दंपती की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। शुक्रवार से सुप्रीम कोर्ट इस मामले की दोबारा सुनवाई करेगा। तलवार दंपती के घरेलू नौकर हेमराज की पत्नी खुुुमकला और जांच एजेंसी सीबीआइ ने हाई कोर्ट द्वारा पिछले साल तलवार दंपती को संदेह का लाभ देते हुए रिहा करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इसके अलावा एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश ने भी मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार से तीनों याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई शुरू करेगा।आरुषि मर्डर केस में SC में अहम सुनवाई से बढ़ सकती हैं राजेश व नूपुर मुश्किलें

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 12 अक्टूबर 2017 को बेटी आरुषि तलवार और नेपाली मूल के नौकर हेमराज की हत्या के आरोप में गाजियाबाद की डासना जेल में उम्र कैद की सजा काट रहे दंत चिकित्सक डॉ. राजेश तलवार और उनकी पत्नी डॉ. नूपुर तलवार को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था। गाजियाबाद की सीबीआइ कोर्ट ने नवंबर 2013 में तलवार दंपती को उनकी बेटी और नौकर की हत्या मामले में आरोपी मानते हुए उम्र कैद की सजा सुनवाई थी।

हाई कोर्ट द्वारा तलवार दंपती को बरी किए जाने के बाद सबसे पहले जनवरी-2018 में नेपाल में रह रही हेमराज की पत्नी खुमकला बंजाडे की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए उन्होंने मामले में अपने पति हेमराज के हत्यारों को सजा दिलाने की मांग करते हुए अपने लिए इंसाफ की मांग की है। खुमकला बंजाडे के सुप्रीम कोर्ट जाने के बाद सीबीआइ ने भी मार्च-2018 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। शुक्रवार से सुप्रीम कोर्ट आरुषि हत्याकांड पर सुनवाई शुरू करेगा। ऐसे में एक बार फिर तलवार दंपती की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

तलवार दंपती ने सुप्रीम कोर्ट जाने से कर दिया था मना

हाई कोर्ट के आदेश पर जेल से रिहा होने के बाद तलवार दंपती नोएडा के सेक्टर-25 जलवायु विहार स्थित आरुषि के नाना के घर पहुंचे थे। यहां मीडिया से बात करते हुए राजेश तलवार ने कहा था कि उन्होंने इंसाफ की इस लड़ाई में बहुत दुख झेला है। इसके अलावा भी उनकी परिवार के लिए जिम्मेदारी है। लिहाजा वह अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएंगे। मालूम हो कि इससे पहले तक तलवार दंपती हमेशा कहते रहे हैं कि वह बेटी आरुषि और हेमराज के हत्यारे को सजा दिलाने और इंसाफ पाने के लिए अंतिम दम तक कानूनी लड़ाई लड़ेंगे।

हेमराज की पत्नी ने कहा सुप्रीम कोर्ट अंतिम उम्मीद

मामले में हेमराज की पत्नी खुमकला बंजाडे का कहना है कि उस रात केवल आरुषि का ही नहीं उनके पति हेमराज का भी कत्ल हुआ था। भले ही आरुषि के माता-पिता को बेटी के कत्ल का इंसाफ न चाहिए हो, लेकिन मुझे पति के कातिल को सजा दिलानी है। मुझे इंसाफ चाहिए। आखिर किसी ने तो मेरे पति की हत्या की है। वह कौन है? पत्नी ने बताया कि पति की मौत के बाद उनका परिवार बेहद आर्थिक तंगी से गुजरा। उसकी हत्या के बाद तलवार दंपती ने उसके तीन महीने की बकाया तनख्वाह तक नहीं दी। उनकी तरफ से कोई मदद नहीं दी गई। ऐसे में उनका दामाद जीवन, उनका भाई और नोएडा में रह रहे जीवन के मालिक उनकी आर्थिक मदद करते हैं। जीवन के मालिक ही हेमराज के बेटे प्रांजल को नोएडा में रखकर पढ़ा-लिखा रहे हैं।

पहले पुलिस, फिर सीबीआइ ने भी तलवार दंपत्ति को माना था आरोपी

आरुषि-हेमराज हत्याकांड के बाद केस की जांच कर रही नोएडा पुलिस ने राजेश तलवार को मुख्य आरोपी मानते हुए गिरफ्तार कर लिया था। हालांकि कुछ समय बाद वह जमानत पर बाहर आ गए थे। इसके बाद सीबीआइ ने मामले की जांच शुरू की। सीबीआइ की पहली टीम ने तलवार दंपती की क्लीनिक और उनके बेहद करीबी डॉक्टर दंपती के नौकर समेत एक अन्य नौकर को हत्यारोपी मानते हुए उन्हें गिरफ्तार किया था। सबुतों के अभाव में उन्हें भी जमानत मिल गई थी। इसके बाद सीबीआइ की दूसरी टीम ने आरुषि केस में लंबी छानबीन की। इसके बाद सीबीआइ की दूसरी जांच टीम ने राजेश तलवार और नूपुर तलवार पर संदेह व्यक्त करते हुए लेकिन पर्याप्त सुबुतों के अभाव में गाजियाबाद की सीबीआइ कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट लगा दी थी। कोर्ट ने सीबीआइ की क्लोजर रिपोर्ट को ही चार्जशीट मानते हुए मामले में सुनवाई शुरू की और नवंबर 2013 में तलवार दंपती को उम्र कैद की सजा सुना दी। इसके बाद तलवार दंपती ने हाई कोर्ट में सीबीआइ कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी।

ऐसे देश की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री बना ये केस

एक दशक पहले 15-16 मई 2008 की रात सेक्टर-25 के जलवायु विहार में ही 14 वर्षीय आरुषि तलवार और घरेलू नौकर हेमराज की गला काटकर निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई थी। हत्या से पहले दोनों के सिर पर किसी भारी चीज से हमला भी किया गया था। आरुषि का शव 16 मई 2008 की सुबह उसके कमरे में उसके बिस्तर पर सोयी हुई स्थिति में मिला था। उस वक्त नौकर हेमराज का शव बरामद नहीं हुआ था। लिहाजा तलवार दंपती ने थाना सेक्टर-20 में हेमराज के खिलाफ हत्या की नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई थी।

हेमराज को ही हत्यारोपी मानकर नोएडा पुलिस की एक टीम भी नेपाल के लिए रवाना हो गई थी। अगले दिन 17 मई 2008 की सुबह मामले में तब नया मोड़ आ गया जब हेमराज का शव तलवार दंपती के छत पर ही खून से लथपथ पड़ा मिला। नौकर हेमराज का शव अगले दिन बरामद होना यूपी पुलिस की बड़ी लापरवाही थी। इसके बाद यूपी पुलिस की काफी आलोचना हुई। अब भी बहुत से लोगों का मानना है कि पुलिस की लापरवाहियों की वजह से ही आज आरुषि-हेमराज हत्याकांड देश की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री बन चुका है।

आरुषि-हेमराज हत्याः एक दशक बाद भी अनसुलझी है मर्डर मिस्ट्री

10 साल पहले 15-16 मई 2008 की रात जब 14 वर्षीय आरुषि तलवार की हत्या हुई थी तब यह सवाल उठा था कि हत्यारा कौन है? मामले की जांच शुरू हुई और जांच एजेंसी की लगातार बदलती थ्योरी और उस पर उठते सवालों के बीच यह केस आगे बढ़ता रहा। हालांकि शुरुआत से लेकर आखिर तक यह केस मिस्ट्री बना रहा और अब भी यह सवाल कायम है कि आखिर कातिल कौन है? अब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है और सीबीआइ ने तमाम आधार पर हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। सीबीआइ ने अपनी अपील में कहा है कि निचली अदालत का फैसला सही था और हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को दरकिनार कर दिया, जो सही नहीं है।

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