श्रीलंका में राजनीतिक उठापटक, विक्रमसिंघे बर्खास्त, पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे बने प्रधानमंत्री

श्रीलंका में पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने एक नाटकीय घटनाक्रम में शुक्रवार को प्रधानमंत्री के पद पर वापसी की। राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने उन्हें शपद दिलाई। प्रधानमंत्री के रूप में पूर्व राष्ट्रपति राजपक्षे का शपथ ग्रहण समारोह जब मीडिया और टीवी चैनलों पर दिखाया गया तो सभी हैरान रह गए।

श्रीलंका की राजनीति में यह बदलाव अचानक तब आया जब इससे पहले सिरिसेना की पार्टी यूनाइटेड पीपुल्स फ्रीडम अलायंस (यूपीएफए) ने सत्तारूढ़ गठबंधन से समर्थन वापस लिया। यूपीएफए के महासचिव महिंदा अमरवीरा ने बिना किसी सूचना के ही बयान जारी कर दिया कि यूपीएफए ने प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला लिया है और यह फैसला संसद में सुना दिया गया है। 

गठबंधन सरकार का गठन 2015 में हुआ था, जब सिरिसेना विक्रमसिंघे के समर्थन के साथ राष्ट्रपति चुने गए थे और राजपक्षे का करीब एक दशक लंबा शासन समाप्त हुआ था। बता दें कि सिरिसेना राजपक्षे की सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थे। राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने राजपक्षे की पार्टी का समर्थन छोड़ दिया था।

सीटों का गणित
इस परिस्थिति में राजपक्षे और सिरीसेना के गठबंधन में केवल 95 सीटें हैं और यह साधारण बहुमत से कम है। वहीं विक्रमसिंघे की यूएनपी की अपनी 106 सीट हैं और वह बहुमत से केवल सात सीट ही कम हैं। वहीं विक्रमसिंघे या यूएनपी की तरफ से कोई भी तत्काल बयान जारी नहीं किया गया है।  बता दें कि राजपक्षे की नई पार्टी ने फरवरी में स्थानीय चुनावों में शानदार जीत हासिल कर पहले से ही गठबंधन सरकार के लिए मुसीबत खड़ी की हुई थी। 

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