पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ने का पवार का फैसला न सिर्फ बारामती के लोगों के लिए, बल्कि पूरे महाराष्ट्र के लिए बड़ा झटका- योगेश जगताप 

शरद पवार का राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) का अध्यक्ष पद छोड़ने का फैसला महाराष्ट्र के पुणे जिले के बारामती शहर के लोगों के लिए किसी झटके से कम नहीं है। वे चाहते हैं कि उनके ‘साहेब’ (पवार) पार्टी का नेतृत्व करते रहें। इधर, खबर है कि पुणे शहर से पार्टी कैडर ने पवार को फैसला वापस लेने के लिए मनाने के लिए खून से पत्र लिखकर भेजा है।

बारामती पवार और उनके परिवार का गढ़ कहलाता है। पवार ने 1999 में कांग्रेस से अलग होने के बाद राकांपा का गठन किया था। वह तभी से पार्टी का नेतृत्व भी कर रहे हैं। उन्होंने मंगलवार को मुंबई में अपनी आत्मकथा ‘लोक माझे संगती’ के अद्यतन संस्करण के विमोचन कार्यक्रम में राकांपा प्रमुख के पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर सभी को चौंका दिया।

जब यह खबर मुंबई से 250 किलोमीटर दूर बारामती में पहुंची, तो लोगों को अपने कानों पर यकीन नहीं हुआ। शहर में शैक्षणिक संस्थान चलाने वाले जवाहर शाह ने कहा, ‘पवार साहेब को इस्तीफा नहीं देना चाहिए। आज राकांपा उनकी वजह से इस मुकाम पर है और उन्हें पार्टी की बागडोर नहीं छोड़नी चाहिए। उन्हें जब तक संभव हो, तब तक पार्टी का नेतृत्व करना चाहिए।’

शाह ने कहा कि पवार साहेब ने संसद में लंबे समय तक बारामती का प्रतिनिधित्व किया हैं और इस निर्वाचन क्षेत्र के लोग चाहते हैं कि वह राकांपा प्रमुख की भूमिका में बने रहें। उन्होंने कहा, ‘यह सभी की इच्छा और मांग है कि पवार साहेब राकांपा प्रमुख बने रहें। उनकी कोशिशों से ही पार्टी का जनाधार बढ़ा है।’

राकांपा से जुड़े योगेश जगताप ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ने का पवार का फैसला न सिर्फ बारामती के लोगों के लिए, बल्कि पूरे महाराष्ट्र के लिए बड़ा झटका है।

उन्होंने कहा, ‘मौजूदा अस्थिर राजनीतिक परिस्थितियों में, पवार साहेब के नेतृत्व की बहुत आवश्यकता है। वह एक पितातुल्य व्यक्ति हैं और राज्य को उनके नेतृत्व की जरूरत है…। उन्हें सक्रिय राजनीति में बने रहना चाहिए।’

Back to top button