NTPC हादसा: आकाओं को खुश करने के चक्कर में हुई 30 लोगो की मौत
नीचे के अधिकारियों और ठेकेदारों को बलि का बकरा बनाकर पूरे मामले को रफा-दफा करने की तैयारी है।
ऊंचाहार परियोजना में कम से कम वक्त में 500 मेगावाट की इकाई स्थापित करके वाहवाही लूटने की एनटीपीसी शीर्ष प्रबंधन की जिद ने तमाम जिंदगियों को निगल लिया।
जानकारों की मानें तो 500 मेगावाट क्षमता की जिस छह नंबर इकाई पर हादसा हुआ, वहां उस समय 250-300 मजदूर काम कर रहे थे। छह नंबर इकाई का काम पूरा हो जाने के एनटीपीसी प्रबंधन के दावे को सही माना जाए तो एक बड़ा सवाल यह है कि फिर इतने मजदूर काम पर क्यों लगाए गए थे?
परियोजना से जुड़े सूत्रों के मुताबिक बॉयलर पर इंसुलेशन की रबर लगवाई जा रही थी। चलते हुए बॉयलर पर इंसुलेटर लगवाना भी सुरक्षा में एक बड़ी चूक मानी जा रही है। विशेषज्ञों की मानें तो इंसुलेटर का काम पूरा हुए बिना बॉयलर को चलाया ही नहीं जाना चाहिए क्योंकि इससे दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।
तकनीकी जानकारों के अनुसार फर्नेश का प्रेशर माइनस 5 से प्लस 5 एमएमडब्ल्यूएच (दबाव मापने की इकाई) के बीच होना चाहिए जो 350 एमएमडब्ल्यूएच तक पहुंच गया था। विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी दशा में बॉयलर का प्रेशर माइनस में ही होना चाहिए था। सुरक्षा मानकों के लिहाज से इसकी भी अनदेखी की गई।
तीन दिन से बॉयलर की दीवारों पर क्लींकर (ढेला) बनने लगा था। बॉयलर को चलाने के लिए इन क्लींकरों को तोड़ना पड़ता है। यही नहीं, ऐश डक्ट हॉपर (राख एकत्र करने की जगह) क्षमता से 15 मीटर ज्यादा भर गए थे। इससे बॉयलर में प्रेशर बन रहा था।
बिजली की मांग नहीं, फिर भी चलाई जा रही थी इकाई
जानकारों का कहना है कि बॉयलर में क्लींकर बनने और ऐश डक्ट हॉपर के क्षमता से ज्यादा भरे होने के बावजूद छह नंबर इकाई को 200 मेगावाट क्षमता पर चलाया जा रहा था।
बिजली की मांग न होने के बाद भी केवल आकाओं को खुश करने के लिए इकाई को चलाया जा रहा था। मौसम बदलने की वजह से पूरे देश में बिजली का लोड कम है। ऐसे में इकाई को चलाने का कोई औचित्य भी नहीं था।
यही वजह है कि आधी-अधूरी तैयारियों के बीच बीते अप्रैल में इस इकाई को चालू करा दिया गया। यह इकाई इस साल के अंत तक स्थापित की जानी थी। विशेषज्ञों का कहना है कि कॉमर्शियल उत्पादन शुरू कराने के लिए अभी इस इकाई में काफी काम बाकी है।
कहा तो यह भी जा रहा है कि एनटीपीसी के एक बड़े अफसर ने निदेशक पद पर प्रोन्नति के लिए भी काम पूरा होने का दावा करते हुए समय से पहले इकाई को चालू करवा दिया।