अब राजनिवास में नहीं दे सकेंगे धरना, जरूरत पड़ने पर कर सकते हैं कुछ भी
नई दिल्ली। राजनिवास में अरविंद केजरीवाल का धरना खत्म हो गया है, लेकिन फिर ऐसा न हो इसके लिए नियम कड़े किए जा रहे हैं। आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री हों, या कोई मंत्री, विधायक, वे राजभवन में धरना नहीं दे सकेंगे। मुलाकात व बैठकों के बाद भी किसी को रुकने नहीं दिया जाएगा। जरूरत पड़ी तो पुलिस की भी मदद ली जाएगी।
राजनिवास से बाहर कर दिया गया
राजनिवास ने अपने इस रुख का परिचय मंगलवार को भी दिया, जब दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) बोर्ड की बैठक खत्म होने के बाद भी बोर्ड के सदस्य व विधायक एसके बग्गा और सोमनाथ भारती ने वहां जबरदस्ती रुकने का प्रयास किया। पुलिस के आला अधिकारियों ने उन्हें उन्हीं के अंदाज में ही राजनिवास से बाहर कर दिया।
प्रभावित हुआ काम
गौरतलब है कि केजरीवाल और उनके सहयोगी मंत्रियों ने नौ दिनों तक राजनिवास के प्रतीक्षालय में धरना दिया था। इस दौरान राजनिवास के कार्य भी प्रभावित हुए थे तो सरकार और उपराज्यपाल के बीच टकराव बढ़ा था। यही नहीं, इससे पूर्व भी मोहल्ला क्लीनिक के मसले पर गत वर्ष ‘आप’ सरकार के मंत्री-विधायक राजनिवास पर जबरन अड़े रहे थे। यह सब देखते हुए अब राजनिवास में यह तय हुआ है कि किसी को भी जबरन वहां नहीं रुकने दिया जाए।
की जा सकती है सख्ती
बताया जाता है कि भविष्य में कोई भी बैठक अथवा मुलाकात खत्म होने के बाद मुख्यमंत्री, मंत्री या विधायक यदि खुद नहीं गए तो उन्हें इसके लिए कुछ समय दिया जाएगा। उनसे विनम्रतापूर्वक आग्रह किया जाएगा। यदि उन्होंने हठ किया तो उन्हें सख्ती से राजनिवास से बाहर किया जा सकता है। कहा जा रहा है कि निर्वाचित प्रतिनिधि होने के नाम पर किसी नेता को राजनिवास की गरिमा व निजता भंग करने की छूट नहीं दी जा सकती है। हाई कोर्ट भी इस पर अपनी सख्त टिप्पणी कर चुका है।