अब महंगे स्मार्टफोन इंडियंस की पहली पसंद

मोबाइल फोन मार्केट के क्षेत्र में भारत एक बड़ा बाजार बनकर उभर रहा है. अमूमन हर हफ्ते मोबाइल कंपनियां एक नया मॉडल पेश कर रही हैं जिससे कम्पीटिशन लगातार बढ़ता जा रहा है. वहीं बात अगर मोबाइल फोन की एवरेज सेल प्राइस (एएसपी) की करें तो 2017 में इसमें 19 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. जानकारों का मानना है कि मोबाइल कंपनियों की आमदनी और मार्जिन के लिहाज से यह काफी महत्वपूर्ण है. दिलचस्प बात यह है कि भारत के बजट फोन मार्केट होने के बावजूद यहां लोग महंगे फोन खरीदने में दिलचस्पी ले रहे हैं. यह लगातार दूसरा साल है जब एएसपी में बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

एएसपी में लगातार होती बढ़ोतरी यह दर्शाती है कि कंज्यूमर्स अब बजट फोन नहीं बल्कि प्रीमियम मोबाइल खरीदने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं. वहीं अगर प्रीमियम सेगमेंट की बात की जाए तो इसमें एपल और सैमसंग जैसी कंपनियां शामिल हैं. गौरतलब है कि पिछले साल एपल ने आईफोन X लॉन्च किया था, जिसकी कीमत 1 लाख रुपये से भी ज्यादा थी. ऐसा पहली बार हुआ कि मोबाइल बाजार में 1 लाख से ज्यादा की कीमत का फोन बाजार में उतारा गया है.

इंटरनेशनल डेटा कारपोरेशन (आईडीसी) इंडिया और काउंटरप्वाइंट की एक रिपोर्ट में साल 2016 के मुकाबले 2017 में एएसपी में 16 पर्सेंट से 19 प्रतिशत की बढ़ोतरी मिली है. आईडीसी इंडिया के सीनियर मार्केट एनालिस्ट जयपाल सिंह ने बताया कि भारतीय वेंडरों के मार्केट शेयर में कमी के कारण स्मार्टफोन के एएसपी में इजाफा हो रहा है.

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वहीं अगर इसकी कैपिटेशन वैल्यू की बात की जाए तो 144 डॉलर से 157 डॉलर है. एसएपी में 2016 में कई सालों की गिरावट के बाद पहली बार वृद्धि देखी गई थी. 2016 में एएसपी में 2-3 पर्सेंट की वृद्धि दर्ज की गई थी. वहीं, भारत में एएसपी अभी दुनिया के सभी प्रमुख बाजारों के मुकाबले कम और चीन के मुकाबले आधी है.

आईडीसी के मुताबिक चीन में यह आंकड़ा 301 डॉलर और अमेरिका में 460 डॉलर के करीब है. ट्रेंड्स बतातें हैं कि इन दोनों देशों में भी एएसपी में पिछले वर्ष से वृद्धि हई है. चीन में जहां पिछले साल एएसपी 258 डॉलर आंकी गई थी, वहीं अमेरिकी मार्केट में यह 410 के पायदान पर थी.

पिछले कुछ के रिकॉर्डस बताते हैं कि कुछ वर्षों में माइक्रोमैक्स, लावा, इंटेक्स और कार्बन जैसे भारतीय ब्रांड्स के मार्केट शेयर में गिरावट देखने को मिली है. साल 2017 में इंडियन ब्रांड्स का मार्केट शेयर घटकर 17 पर्सेंट के पायदान पर पहुंच गया जो कि 4 वर्ष पहले 54 प्रतिशत था. वहीं शाओमी, ओपो, वीवो और लेनोवो-मोटोरोला जैसे चीनी ब्रांड के मौजूदा समय में 57 पर्सेंट मार्केट शेयर पर बने हुए हैं.

 
 
 
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