किसान न हों परेशान; मात्र एक किट से मिलेगा समाधान, जम्मू विश्वविद्यालय की बड़ी खोज
किसानों की फसल अब न तो बीमारी से खराब होगी और न ही उन्हें खाद का ज्यादा इस्तेमाल करना पड़ेगा। क्योंकि, किसान अब फसलों में लगने वाली बीमारियों का पता घर बैठे ही खुद लगा सकेंगे। यह सब मुमकिन होगा किसान किट से। इस किट को जम्मू विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी की शोधार्थी डॉ. नैनसी ने तैयार किया है।
इसकी मदद से चंद मिनटों में बीमारी का पता चल सकेगा। किसान किट से किसान फसलों में लगने वाली बीमारियों का पता बड़ी आसानी से लगा सकेंगे। डॉ. नैनसी के अनुसार लैंप तकनीक से संक्रमित पौधे या मिट्टी की जांच की जा सकती है। रोग की पहचान बदले रंग से होगी। किट में अलग-अलग रंग के घोल होंगे।
संक्रमित पौधे या मिट्टी को गुलाबी रंग के घोल में डालने से उसका रंग बदले तो इससे बीमारी की पुष्टि होती है। अगर रंग में बदलाव नहीं हुआ तो वह पौधा सुरक्षित है। नैनसी के अनुसार हर रोग के एक अलग मार्कर जीन होते हैं, जिसके आधार पर बीमारियों की पहचान की जा सकती है। अगर जमीन में किसी तरह का रोगकारक नहीं है तो किसान को कीटनाशक डालने की जरूरत नहीं होगी। फसल में कितनी खाद डालनी है इसकी भी जानकारी इससे मिलेगी।
विशिष्ट तकनीक से बीमारी का पता चलेगानैनसी बताती हैं कि ये एक विशिष्ट तकनीक है, जिससे रोगजनक की विशिष्ट जानकारी मिलेगी। जिस भी रोगजनक का मार्कर ज़ीन होगा वो उसी रोगजनक की पहचान करेगा। केसर में इस किट का उपयोग किया गया, जिससे बेहतर परिणाम मिले हैं।
इससे अब अन्य फसलों में इसके इस्तेमाल की राह आसान हो गई है। इसका इस्तेमाल करना बड़ा आसान होगा। उन्होंने बताया कि तीन साल तक इस प्रोजेक्ट पर स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी में प्रो. ज्योति वाकलू के मार्गदर्शन में काम किया है। पीएचडी पूरी की और अब वह शोध सहयोगी हैं। उन्होंने बताया कि जल्द ही किसान किट मार्केट भी उपलब्ध होगी।