उत्तराखण्ड के ग्रामीणों ने लिखी नई इबारत, अब 24 घंटे मिल रहा शुद्ध पेयजल

पिथौरागढ़: बारहमास 125 मीटर ऊंचाई से गिरने वाला बिर्थी फॉल उत्तराखंड की बड़ी पर्यटन पहचान है। इस सदाबहार झरने से महज एक किमी की दूरी पर रहने वाले भुर्तिंग गांव के बाशिंदे वर्षों से पेयजल के लिए जूझ रहे थे। महिलाएं दूरदराज से सिर पर पानी ढोकर लाती थीं। इस अभाव से गांव वालों को पानी का मोल समझ आया तो एक ऐसी सोच ने जन्म लिया, जिससे गांव की सूरत ही बदल गई। उत्तराखण्ड के ग्रामीणों ने लिखी नई इबारत, अब 24 घंटे मिल रहा शुद्ध पेयजल

अब गांव के सभी परिवारों को एक रुपये प्रतिदिन पर 24 घंटे शुद्ध पेयजल मिलने लगा है। ग्रामीण महिलाओं के सहयोग से तैयार इस जलापूर्ति प्रणाली पर सरकार का कोई दखल नहीं है। ग्राम की पेयजल समिति इस व्यवस्था का संचालन करती है। बिल के रूप में जमा की जाने वाली मासिक राशि पर ग्र्रामीणों को लाभांश भी मिल रहा है। 

पेयजल को जूझ रहे थे लोग

पिथौरागढ़ जिले की मुनस्यारी तहसील का भुर्तिग बिर्थी गांव 2006 तक पेयजल संकट से जूझ रहा था। गांव के समीप ही बहने वाला रुद्र नाला (गधेरा) पीने के पानी का भी एकमात्र जरिया था। इस नाले के दूषित पानी के प्रयोग से गांव में आए दिन कोई न कोई परिवार डायरिया, दस्त व जल जनित रोगों से परेशान रहता था। लिहाजा महिलाओं को दूर-दूर से पानी ढोकर लाना पड़ता था। 

महिलाओं के श्रम से निकला समाधान

2006 में पंचायत की मदद से गांव के लिए एक पेयजल योजना बनाई गई। इसे अमल में लाने की जिम्मेदारी गांव की महिलाओं को सौंपी गई। महिला समूह और नौ सदस्यीय पानी प्रबंधन समिति (पांच महिला सदस्य) का गठन किया गया। 

हिमालयन ग्राम विकास समिति से प्रशिक्षण और सहयोग मिला। महिलाओं ने गांव की पानी की आवश्यकता, जल स्रोत का चयन और पेयजल आपूर्ति को लाइन बिछाने के लिए सर्वे आदि काम शुरू कर दिया। गांव के लोगों को भी साथ जोड़ा और जन सहयोग से दस फीसद नकद अंशदान जुटाया गया।

2007 में चिह्नित जल स्रोत से गांव तक पानी लाने के लिए 1253 मीटर लंबी पाइप लाइन और फिर गांव में घरों-घर वितरण के लिए 2371 मीटर पाइप लाइन बिछाने का काम शुरू हुआ। सभी काम महिलाओं ने पूरे किए। 15 हजार लीटर क्षमता का टैंक, निजी कनेक्शन के अलावा 22 सार्वजनिक नलों से साल के आखिर तक जलापूर्ति चालू हो गई। 

गांव के विद्यालय को भी कनेक्शन मिला। इस पेयजल योजना को अमल में लाने पर करीब साढ़े आठ लाख रुपये का खर्च आया। रतन टाटा ट्रस्ट ने इसमें करीब साढ़े सात लाख रुपये का अंशदान दिया। 

हर माह जमा कराते हैं बिल 

पेयजल आपूर्ति के लिए लाइन बिछाने का काम शुरू करने से पहले ही जलमूल्य निर्धारण कर एक वर्ष का बिल ग्रामीणों से अग्रिम जमा करवाया गया था। सार्वजनिक नल से पानी लेने पर 20 रुपये और निजी नल से जलापूर्ति के लिए 30 रुपये मासिक जल मूल्य तय किया गया। 

तब से ही ग्राम समिति पेयजल योजना का संचालन और रखरखाव कर रही है। वर्तमान में पानी प्रबंधन समिति भुर्तिंग के पास रखरखाव वाले खाते में करीब एक लाख साठ हजार रुपये की धनराशि बिल के माध्यम से जमा है। इसमें से एक लाख तीस हजार रुपये का फिक्स डिपॉजिट करा दिया गया है। 

शेष रकम हर परिवार को लाभांश के रूप में दी गई। नियमित रूप से साफ सफाई व क्लोरीनेशन होने से गांव में जल जनित रोग भी अब गायब हो गए हैं। घरों में शौचायल भी बन गए हैं। यही नहीं पानी की प्रचुर उपलब्धता के बाद स्थानीय महिलाओं ने साग-सब्जी उत्पादन एवं दुग्ध उत्पादन को भी अपनी आय का बड़ा जरिया बना लिया है। 

जल जनित बीमारियों पर भी लगी रोक 

ग्राम भुर्तिंग की पेयजल स्वच्छता समिति सदस्य खिमुली देवी के मुताबिक गांव में पानी की विकट समस्या थी। अब हर घर में पानी है। गांव वाले शुद्ध पानी पी रहे हैं। जिससे पानी से होने वाली बीमारियों पर रोक लगी है। 

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