NDvsENG: जानिए, कौन से भारतीय गेंदबाज सफल रहे थे इंग्लैंड में
टीम इंडिया के इंग्लैंड दौरे की टेस्ट सीरीज शुरू होने से पहले तक यहां की तेज पिचों के ही चर्चे हो रहे हैं. गर्मी की मार का यहां की पिचों पर क्या असर होगा, क्या इंग्लैंड के तेज गेंदबाज वहीं कहानी दोहरा पाएंगे जो उन्होंने 2014 में लिखी थी. ऐसे कई सवाल हैं जो लोगों की जुबान पर चढ़े हुए हैं. इन्हीं में से एक यह भी है कि इंग्लैंड में भारतीय तेज गेंदबाज वहां के हालातों का कितना फायदा उठा पाते हैं. इससे पहले भी इंग्लैंड दौरे पर भारतीय टीम के कई गेंदबाजों ने सफलता के झंडे गाड़े हैं.
इसमें सबसे ज्यादा चर्चा ईशांत की हो रही है जिनकी शानदार गेंदबाजी के दम पर ही टीम इंडिया ने 2014 के इंग्लैंड दौरे के दूसरे टेस्ट मैच में जीत हासिल की थी. कड़े मुकाबले में ईशांत ने दूसरी पारी में सात विकेट झटके थे जिससे की टीम इंडिया को इस मैच में इंग्लैंड को 319 रनों का लक्ष्य दिया था. चौथे दिन का खेल खत्म होने तक 105 रन बनाते बनाते चार विकेट खो दिए थे जिसमें से फॉर्म में चल रहे एलिस्टर कुक और इयान बेल को ईशान शर्मा ने आउट किया था. इसके बाद खेल के आखिरी दिन पहले सत्र में जो रूट और मोईन अली ने कोई विकेट गिरने नहीं दिया और लंच तक इंग्लैंड का स्कोर 173 तक पहुंचा दिया था. लेकिन लंच के बाद एक बार फिर ईशांत शर्मा ने भारत को सफलता दिलाई जब उनकी बाउंसर पर मोईन अली फॉरवर्ड शॉर्ट लेग पर खड़े चेतेश्वर पुजारा को कैच दे बैठे.
दूसरी पारी में ईशांत ने अपनी शॉर्ट गेंद पर ही मैट प्रायर, बेन स्टोक्स और जो रूट के अहम विकेट लेकर अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 74 रन देकर 7 विकेट लिए. ईशांत की गेंदाबाजी की बदौलत इंग्लैंड टीम 233 रनों पर ही सिमट गई जिससे टीम इंडिया ने यह मैच 95 रन से जीत लिया. ईशांत के इस प्रदर्शन की बदौलत उन्हें लॉर्ड के मैदान पर मैन ऑफ द मैच का खिताब मिला. इस बार भी उम्मीद की जा रही है कि ईशांत लॉर्ड्स जैसा प्रदर्शन दोहरा पाएंगे.
जहीर खान का 2007 में नॉटिंघम टेस्ट में शानदार प्रदर्शन
जहीर खान का 2007 में यादगार प्रदर्शन याद किया जाता है जब सीरीज का पहला टेस्ट बमुशकिल ड्रॉ कराने के बाद टीम इंडिया के सामने इंग्लैंड एक बड़ी चुनौती खड़ी करने के इरादे से नॉटिंघम के टेंटब्रिज मैदान में उतरी थी. लेकिन जहीर की शानदार गेदबाजी की बदौलत भारत ने इंग्लैंड की टीम को केवल 198 रनों के स्कोर पर ही आउट कर दिया. इस पारी में जहीर ने 21 ओवर में 59 रन देकर 4 अहम विकेट झटके थे. इनमें एंड्रयू स्ट्रॉस, माइकल वॉन और मैट प्रायर के विकेट शामिल थे.
इसके बाद भारतीय बल्लेबाजों ने पिच का फायदा उठाते हुए 481 रन बना डाले जिसमें दिनेश कार्तिक (77), वसीम जाफर (62) सचिन तेंदुलकर (91) सौरव गांगुली (79) वीवीएस लक्ष्मण (54) के अर्धशतक शामिल थे. इस तरह टीम इंडिया ने पहली पारी में 283 रनों की अहम बढ़त हासिल कर ली थी. लेकिन इंग्लैंड की टीम दूसरी पारी में भी जहीर का जवाब नहीं ढूंढ सकी. इस पारी में जहीर ने पहले सी भी धारदार गेंदबाजी की और इंग्लैंड की शीर्षक्रम की कमर तोड़ते हुए. 27 ओवर में 75 रन देकर पांच विकेट लिए जिसमें इंग्लैंड की ओर से शतक लाने वाले कप्तान माइकल वॉन का शतक भी शामिल था. जहीर के प्रदर्शन की बदौलत टीम इंडिया को केवल 73 रनों का लक्ष्य मिला जो उसने तीन विकेट खोकर हासिल कर लिया. इस टेस्ट मैच में 9 विकेट लेने वाले जहीर खान मैन ऑफ द मैच रहे थे.
1986 में चेतन शर्मा की लॉर्ड्स में बेहतरीन गेंदबाजी
1986 में टीम इंडिया कपिलदेव की कप्तानी में इंग्लैंड में गई थी. इस सीरीज के तीसरे और आखिरी टेस्ट मैच में 20 साल के चेतन शर्मा ने बेहतरीन गेंदबाजी कर सबका दिल जीत लिया जबकि उसके कुछ हफ्ते पहले ही उन्होंने शरजाह में जावेद मिंयादाद के वनडे की आखिरी गेंद पर छक्का खाया था. इंग्लैंड के कप्तान माइक गैटिंग ने टॉस जीत कर जब बल्लेबाजी की तो सलामी बल्लेबाज ग्राहम गूच और डेविड गावर के जल्दी आउट होने के बाद जब इंग्लैंज टीम उबरने की कोशिश कर ही रही थी कि चोयन शर्मा ने ने डेविड गावर को एलबीडब्ल्यू कर अपना अर्धशतक पूरा करने नहीं दिया. इसके बाद शर्मा ने निचले क्रम के बल्लेबाजों को समेटते हुए इंग्लैंड को 400 रन बनाने नहीं दिए. जबकि कप्तान माइक गैटिंग 183 रन बनाकर नाबाद पवेलियन लौटे. इंग्लैंड ने 390 रनों का स्कोर बनाया.
इसके जवाब में टीम इंडिया ने भी सभी बल्लेबाजों के मिले जुले योगदान के दम पर 390 रन बना लिए. लेकिन दूसरी पारी में चेतन शर्मा ने आते ही शानदार गेंदबाजी की और ग्राहम गूच, एथी, डेविड गावर, कप्तान माइक गैटिंग को पवेलियन लौटा दिया. पहली पारी में जहां चेतन शर्मा ने 4 विकेट लिए तो दूसरी पारी में उन्होंने 6 विकेट लेकर इंग्लैंड की टीम को हावी होने नहीं दिया और इंग्लैंड की टीम को 235 रनों पर ही समेट दिया. दूसरी पारी में भारतीय टीम 5 विकेट खोकर 175 रन ही बना सकी और मैच ड्रॉ हो गया और भारत ने यह सीरीज 2-0 से जीत ली.
1971 के ओवल टेस्ट में भागवत चंद्रशेखर का जादुई प्रदर्शन
9171 में भारत के इंग्लैंड दौरे में पहले दो टेस्ट मैच ड्रॉ होने के बाद तीसरे टेस्ट में टॉस इंग्लैंड के कप्तान रे इंलिंगवर्थ ने जीत कर पहले बल्बेबाजी करने का फैसला किया जिसमें भागवत चंद्रशेखर ने दो ही विकेट लिए थे. इस पारी में इंग्लैंड ने एलन नॉट (90), जान जेमसन (82) और रिचर्ड हॉटन (80 ) की पारियों के दम पर 355 रन बनाए थे. भारत ने इसके जवाब में फारुख इंजीनियर और दिलीप सरदेसाई के अर्धशतकों की बदौलत 284 रन बनाए थे.
इसके बाद इंग्लैंड की दूसरी पारी में चंद्रशेखर ने अपनी लेग ब्रेक में अंग्रेजी बल्लेबाजों को बुरी तरह उलझा दिया और इंग्लैंड की टीम केवल 101 रनों पर सिमट गई जिसमें चंद्रशेखर ने 6 विकेट लिए और इसके बाद भारत ने 6 विकेट खोकर 174 रन बनाते हुए यह मैच और सीरीज दोनों ही अपने नाम कर ली.
1932 में मोहम्मद निसार का लॉर्ड्स में शानदार प्रदर्शन
कहा जाता है कि 1932 में मोहम्मद निसार भारत के सबसे तेज गेंदबाज थे. अपने इस पहले मैच में ही निसार ने इंग्लैंड के बल्लेबाजों में गहरा असर दिखा दिया . तेजी से शुरुआती विकेट झटक डाले और इंग्लैंड का स्कोर 91 रन पर ही तीन विकेट कर दिया. अपने 26 ओवर के स्पेल में निसार ने 93 देकर पांच विकेट लिए थे. इस पारी में इंग्लैंड केवल 259 रनों पर आउट हो गई थी. भारत की टीम इस मैच में बल्लेबाजी में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकी और यह मैच हार गई थी.