मोदी सरकार का बड़ा फैसला: इस नई दूर संचार नीति से ग्राहकों के मोबाइल का बिल होगा कम

ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों में सस्ती दूरसंचार सेवाएं मुहैया कराने के लिए केंद्र सरकार एक अहम कदम उठाने जा रही है। नई दूरसंचार नीति में सरकार ने बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए स्पेक्ट्रम और लाइसेंस शुल्क कम रखने का फैसला किया है। इससे छोटी कंपनियों को मौका मिलेगा। साथ ही उपभोक्ताओं के प्री-पेड और पोस्ट पेड बिल में कमी आएगी। माना जा रहा है कि अगले सप्ताह कैबिनेट नई नीति को हरी झंडी देगा।

दूरसंचार आयोग द्वारा मंजूर दूरसंचार नीति में वित्त मंत्रालय ने कंपनियों पर टैक्स घटाने का प्रस्ताव रखा था। इसका उद्देश्य ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों तक संचार व्यवस्था को दुरुस्त करने के साथ ही प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना है। 

बिल में 10-15 फीसदी की आएगी कमी 

दूरसंचार मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ने का फायदा सबसे पहले ग्राहकों को मिलता है। अनुमान है कि स्पेक्ट्रम और लाइसेंस शुल्क में कमी आने से सेवाएं लेने वालों के बिल में कम से कम 10-15 फीसदी की कमी आएगी। मौजूदा समय में दूरसंचार कंपनियां अपनी आय का 40 फीसदी से अधिक हिस्सा टैक्स के तौर पर अदा करती हैं।

इसके चलते कंपनियों को सेवाओं का विस्तार करने में परेशानी आ रही है और संचार क्षेत्र पिछड़े इलाकों तक नहीं पहुंच पा रहा है। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि दूरसंचार आयोग ने नई नीति में वित्त मंत्रालय के इस प्रस्ताव को शामिल किया है, जिसके लागू होने से कंपनियों के साथ-साथ ग्राहकों को भी राहत मिलेगी। 

40 लाख नौकरियों का होगा सृजन

दूरसंचार मंत्रालय के मुताबिक, नई दूरसंचार नीति का प्राथमिक उद्देश्य केवल राजस्व एकत्रित करना नहीं, बल्कि देश के हर कोने में संचार व्यवस्था को पुख्ता करना है। कंपनियों पर टैक्स का भार कम करने के लिए विभिन्न स्तरों के बजाय एक ही स्तर पर शुल्क लिया जाएगा। साथ ही स्पेक्ट्रम में भी इसी तरह की व्यवस्था होगी, जिसके बाद कंपनियां तेजी से सेवा का विस्तार कर सकेंगी।

गौरतलब है कि नई नीति का मकसद 2022 तक 40 लाख नौकरियों का सृजन करना भी है। इसके अलावा, 100 अरब डॉलर निवेश आकर्षित करना और हर नागरिक के लिए 50 एमबीपीएस ब्रॉडबैंड कवरेज सुनिश्चित करना है।

दूरसंचार आयोग द्वारा हाल में मंजूर नीति में इस क्षेत्र की समस्याओं का समाधान भी बताया गया है, जिनमें लाइसेंस और स्पेक्ट्रम इस्तेमाल शुल्क के अलावा, सार्वभौमिक सेवा बाध्यता कोष शुल्क शामिल है। नई नीति के तहत इस क्षेत्र में कारोबार सुगम बनाने के लिए उपाय किए गए हैं। आयोग की ओर से मंजूर नीति को अगले सप्ताह केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष पेश किया जाएगा, जहां से हरी झंडी मिलते ही दूरसंचार मंत्रालय नई नीति को लागू करेगा। 

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