मां तुलसी के विवाह के लिए खास तरह से तैयार हों विवाहित महिलाएं
दिवाली के बाद देवोत्थान एकादशी का दिन आता है, जिसका सनातन धर्म में काफी महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु दोबारा अपना कार्यभार संभालते हैं, ऐसे में इसी दिन से सभी शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। ये एकादशी इसलिए भी काफी खास होती है, क्योंकि इसी दिन तुलसी विवाह भी कराया जाता है।
कहा जाता है कि, इस दिन माता तुलसी का विवाह कराने से सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। ऐसे में सुहागिन महिलाएं इस दिन खूब सच्चे मन से पूजा अर्चना करती हैं और अपने लिए अखंड सुहाग की कामना करती हैं। इस पूजा में शामिल होने के लिए सुहागिन महिलाएं खुद भी पूरा श्रृंगार करती हैं। यहां हम आपको बताने जा रहे हैं कि सुहागिन महिलाओं को इस दिन की पूजा में कैसे सजना चाहिए।
एथनिक हो आउटफिट
तुलसी पूजा के समय तैयार होने के लिए हमेशा साड़ी या लहंगा ही पहनें। अगर आप चाहें तो सूट भी कैरी कर सकती हैं। इन तीनों आउटफिट के साथ दुपट्टा जरूर कैरी करें। चाहें तो अपनी शादी की चुनरी सिर पर ओढ़ लें, ताकि आपका लुक भी प्यारा दिखे।
रंग का रखें ध्यान
आपका ये एथनिक आउटफिट खास रंग का ही होना चाहिए। पूजा के समय तो खासकर लाल, हरे, और पीले रंग को अधिक पसंद किया जाता है क्योंकि ये रंग शुभ माने जाते हैं। आपके कपड़े काले, नीले या सफेद तो बिल्कुल भी नहीं होने चाहिए।
आभूषण हैं जरूरी
तुलसी विवाह के दिन सोने, चांदी या कुंदन के आभूषण पहनना शुभ माना जाता है। ऐसे में आप मांग टीका, बिछिया, चूड़ियां और पैरों में पायल पहन सकती हैं।
हाथों पर रचाएं मेहंदी
पूजा-पाठ के समय सुहागिन महिलाओं का हाथों और पैरों पर मेहंदी लगाना शुभ होता है। इससे सुहागिनों का सौंदर्य और भी निखरता है। ऐसे में अपने हाथों पर तो मेहंदी अवश्य ही रचाएं।
सिंदूर और बिंदी
सिंदूर और बिंदी विवाहित महिलाओं के लिए सुहाग का प्रतीक होता है, इसलिए इसे विशेष रूप से लगाया जाता है। पूजा के समय तो इन दोनों चीजों को कतई भी न भूलें।