ग्रेटर नोएडा में ज्वैलरी और पैसों के लिए कई जोड़ों ने दोबारा रचाई ‘सरकारी शादी’

उत्तर प्रदेश में चल रही ‘मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना’ का एक चौंकाने वाला सच सामने आया है. इस योजना का मकसद था कि गरीब बेटियों की शादी की जा सके, लेकिन कुछ लोगों ने इसका गलत तरीके से फायदा उठाया. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में 11 जोड़ों ने सिर्फ 20 हज़ार रुपए, ज्वैलरी और कुछ गिफ्ट के चक्कर में शादी की, जबकि ये जोड़े पहले से ही शादीशुदा थे. करीब 3 जोड़ों के तो बच्चे भी हैं.

नवभारत टाइम्स की खबर के अनुसार, बीते 24 फरवरी को ग्रेटर नोएडा में सामूहिक विवाह का आयोजन किया गया, इनमें कुल 66 जोड़े शामिल थे. इसमें से 11 जोड़ों की फर्जी शादी की बात का पता चला है. रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से एक व्यक्ति तो दो बच्चों के पिता हैं, उनकी शादी 6 साल पहले ही हो चुकी है.

अखबार की रिपोर्ट में इसी प्रकार के कई मामले सामने आए, जिसमें कई जोड़े पहले से ही शादीशुदा थे. इसके बावजूद सरकारी तंत्र की आंखों में धूल झोंकते हुए इस प्रकार का फर्जीवाड़ा किया गया. इस सामूहिक विवाह कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री डॉ. महेश शर्मा, दादरी के विधायक तेजपाल नागर, जेवर के विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह, DM और डीआईजी समेत कई अफसर भी शामिल हुए थे.

रिपोर्ट के अनुसार, मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना इस प्रकार है –

कुल बजट – 250 करोड़

अभी तक 55 जिलों में कुल 5937 जोड़ों का सामूहिक विवाह हो चुका है.

योजना के तहत कुल 10 हज़ार विवाह का लक्ष्य.

क्या होता है सामूहिक विवाह में ?

गौरतलब है कि गरीबी रेखा से नीचे वाले लोगों के लिए इस प्रकार का सामूहिक विवाह का आयोजन किया जाता है. जिससे परिवार पर शादी का बोझ ना आ सके. इन कार्यक्रमों में नए जोड़ों को ज्वैलरी और तोहफे दिए जाते हैं. इसके अलावा प्रशासन की तरफ से कन्या को 20 हज़ार रुपए मिलते थे. ना सिर्फ सरकार की तरफ से बल्कि प्राइवेट एनजीओ भी इन कार्यक्रमों में शामिल होते हैं और नए जोड़ों को तोहफे देते हैं.

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