जानें कोरोना वायरस के लिए कितना तैयार हैं भारत, सामने आई ये बड़ी रिपोर्ट

भारत में भी अब कोरोना का खौफ देखने को मिल रहा है. देश भर में अब तक एक दर्जन से अधिक केसों में पॉजि‍टिव रिपोर्ट आई है. चीन समेत दुनिया के दूसरे देशों में भी कोरोना को लेकर हलचल नजर आ रही है. चलिए जानते हैं कि दुनिया के दूसरे देशों की तुलना में स्वास्थ्य रैंकिंग में हम कहां पर मौजूद हैं और कितना तैयार हैं. राजधानी एनसीआर में कोराेना को लेकर लोगों के दिलों में चिंता घर कर चुकी है. वहीं, विभ‍िन्न संस्थानों में एडवाइजरी जारी करके इससे बचने के तरीके खोजे जा रहे हैं. चिंताओं के ऐसे माैकों पर सरकारी और गैर सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों की और लोग उम्मीद से देखते हैं. आइए जानें कि ग्लोबल हेल्थ रैंकिंग में हम कहां पर हैं. मौजूदा प्लेटफॉर्म में भारत हेल्थ रैंकिंग में कहा पर है.

वर्ष 2019 के वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा सूचकांक के मुताबिक 195 देशों में भारत 57वें स्थान पर है.यह सूचकांक से यह भी पता चलता है कि अधिकतर देश किसी भी बड़े संक्रामक रोग से निपटने के लिए कितने तैयार नहीं हैं. इस सूची में केवल 13 देश है जो शीर्ष पर रहे हैं. इनमें से अमेरिका पहले स्थान पर है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा सूचकांक विश्व स्तर पर महामारी और महामारी के खतरों का पहला व्यापक मूल्यांकन है. वहीं, ये सूचकांक स्वास्थ्य की आपात स्थितियों को रोकने और उनका निराकरण करने के लिए प्रत्येक देश की क्षमता का आंकलन करता है. इसका निष्कर्ष 140 सवालों के जवाब पर आधारित होता है.

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वर्ल्ड इकनोमिक फोरम ने 2019 में यह कहा कि भारत का स्वास्थ्य जीवन प्रत्याशा के मामले में सूचकांक काफी निराशाजनक है. इसमें भारत 109 वें स्थान पर है. इस इंडेक्स के लिए 141 देशों का सर्वे किया गया था. इससे यह पता लगता है कि भारत जीवन प्रत्याशा के मामले में दुनिया के देशों से बहुत पीछे है. वहीं, 2018 मेडिकल जर्नल ‘लैंसेट’ के एक अध्ययन के अनुसार, स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और लोगों तक उनकी पहुंच के मामले में भारत विश्व के 195 देशों में 145वें पायदान पर मौजूद है. यह अध्ययन का चौंकाने वाला पक्ष ये है कि भारत 195 देशों की सूची में अपने पड़ोसी देश चीन, बांग्लादेश, श्रीलंका और भूटान से भी पीछे नजर आ रहा है. साल 2018 में ‘ग्लोबल बर्डेन ऑफ डिजीज’ अध्ययन में आया कि स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच और गुणवत्ता मामले में वर्ष 1990 के पश्चात् से भारत की स्थिति में सुधार हुए हैं. वहीं, साल 2016 में स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच और गुणवत्ता के मामले में भारत को 41.2 अंक मिले थे जबकि साल 1990 में केवल 24.7 अंक मिले थे.

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