भारत-चीन संबंध सामान्य नहीं हैं और अगर सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति भंग होती है तो यह ठीक नहीं हो पाएगी- एस जयशंकर

गोवा में हो रही एससीओ बैठक की ब्रीफिंग में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि भारत-चीन संबंध सामान्य नहीं हैं और अगर सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति भंग होती है तो यह ठीक नहीं हो पाएगी। एससीओ बैठक के इतर अपने चीनी समकक्ष किन गैंग के साथ बैठक पर मंत्री ने ब्रीफिंग में कहा, “सीमावर्ती क्षेत्रों में असामान्य स्थिति है; हमने इस बारे में खुलकर चर्चा की है। हमें सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना होगा। भारत-चीन संबंध सामान्य नहीं हैं और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति भंग होने पर सामान्य नहीं हो सकते।”

आतंकवाद को वित्तपोषण रोकना होगा: एस जयशंकर
देश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को पाकिस्तान के अपने समकक्ष बिलावल भुट्टो-जरदारी की मौजूदगी में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में दो टूक कहा कि बिना किसी भेदभाव के आतंकवाद के सभी स्वरूपों और इसके वित्तपोषण को रोकना चाहिए। चीन की ‘बेल्ट एंड रोड’ पहल को लेकर बढ़ती आलोचना के बीच जयशंकर ने यह भी रेखांकित किया कि संपर्क प्रगति की कुंजी है, लेकिन इसके लिए सभी सदस्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को ध्यान में रखना चाहिए।

गोवा के ‘बीच रिसॉर्ट’ में चीन के विदेश मंत्री छिन कांग और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव तथा एससीओ के अन्य देशों के उनके समकक्षों ने बैठक की। सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए जयशंकर ने अफगानिस्तान की स्थिति और कोविड-19 महामारी के प्रभाव के साथ-साथ ऊर्जा, भोजन और उर्वरकों की आपूर्ति को प्रभावित करने वाली भू-राजनीतिक उथल-पुथल के परिणामों पर भी चर्चा की।

पाकिस्तान कर रहा आतंकवाद की अनदेखी?
जयशंकर ने परोक्ष रूप से पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए कहा कि आतंकवाद की अनदेखी करना समूह के सुरक्षा हितों के लिए हानिकारक होगा और जब दुनिया कोविड-19 महामारी और उसके प्रभावों से निपटने में लगी थी, तब भी आतंकवाद की समस्या ज्यों की त्यों बनी रही। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत का दृढ़ विश्वास है कि आतंकवाद को बिल्कुल उचित नहीं ठहराया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि इस खतरे से मुकाबला करना एससीओ के मूलभूत कार्यक्षेत्र में शामिल है। उन्होंने कहा, ”हमें किसी भी व्यक्ति या देश को सरकार से इतर तत्वों के पीछे छिपने की अनुमति नहीं देनी चाहिए।”

जयशंकर ने कहा, ”आतंकवाद की अनदेखी करना समूह के सुरक्षा हितों के लिए नुकसानदेह होगा। हमारा दृढ़ विश्वास है कि आतंकवाद को कतई उचित नहीं ठहराया जा सकता है। सीमापार आतंकवाद समेत इसके सभी स्वरूपों का खात्मा किया जाना चाहिए। सदस्यों को यह याद दिलाने की जरूरत नहीं है कि खतरे से मुकाबला करना एससीओ के मूलभूत कार्यक्षेत्र में शामिल है।” अफगानिस्तान पर उन्होंने कहा, ”उस देश में उभरती स्थिति पर हमारा ध्यान बना हुआ है। हमारे प्रयास अफगान जनता के कल्याण की दिशा में होने चाहिए।” विदेश मंत्री ने कहा, ” अफगानिस्तान में हमारी तात्कालिक प्राथमिकताओं में मानवीय सहायता पहुंचाना, एक वास्तविक समावेशी सरकार सुनिश्चित करना, आतंकवाद से मुकाबला करना और महिलाओं, बच्चों एवं अल्पसंख्यकों के अधिकार संरक्षित करना शामिल हैं।”
     
जयशंकर ने कहा कि कनेक्टिविटी के साथ सभी सदस्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को ध्यान में रखना चाहिए। भारत बीआरआई का मुखर रूप से आलोचना करता रहा है क्योंकि 50 अरब डॉलर की परियोजना में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) शामिल है। सीपीईसी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है।

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