इस तरह इन परिवारों को सात साल बाद भी नही मिल पाई बीमा राशि

मध्य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य इलाके कहे जाने पर आलीराजपुर के करीब 350 उपेक्षित किसानों के परिवार को बीमा राशि मिली। किसान के परिजनों को यह राशि मिलने में किसानों को 7 साल का समय लग गया। परिजनों को यह राशि उस योजना के तहत मिला है, जिसमें उनका समूह बीमा कराया गया था।    

इस तरह इन परिवारों को सात साल बाद भी नही मिल पाई बीमा राशिदिसंबर 2017 में किसानों से जुड़े इस विशेष मुद्दों को मीडिया ने उठाया था। अखबारों और टीवी चैनलों पर आने के बाद एलआईसी ने 336 किसानों के जीवन बीमा के 84 लाख रुपये का भुगतान किया। अतिरिक्त सचिव शेखर वर्मा ने इस बारे में बात करते हुए कहा कि यह अब तक का सबसे बड़ा क्लेम का सेटलमेंट किया गया। उन्होंने कहा कि शायद ही किसी ग्रुप इंश्योरेंस में इतने बड़े केस का एक बार में निपटारा हो पाया है।

जिला सहकारी बैंक की शाखा, झबुआ के इंश्योरेंस इंचार्ज राजेश राठौर ने बताया कि मैं बीमा कंपनी के अधिकारियों के संपर्क में बना हुआ हूं और संबंधित दस्तावेज तैयार करवा रहा हूं। उन्होंने बताया कि 64 केसों का निपटारा अभी बाकी है। 

इस बारे में शेखर वर्मा ने बात करते हुए कहा कि पहली बार इसकी जानकारी मुझे तब लगी जब मैं साल 2014 में जनसुनवाई कर रहा था। इस दौरान एक किसान का परिवार मेरे पास आया और बीमा कंपनी से जुड़े दस्तावेज दिखाई। मैंने उनके दस्तावेज देखे और एक कैंप का आयोजन करवाया। जहां उन किसान परिवारों की शिकायतों के लिए विंडो थी, जिनकी बीमा राशि अब तक नहीं मिल पाई है। 

हमारे पास 400 से ज्यादा परिवार आए जिनकी शिकायत थी कि बीमा राशि का भुगतान अब तक नहीं हुआ है। मैंने बीमा कंपनियों के अधिकारियों से इस बारे में चर्चा की और रोडमैप बनाया गया कि किस तरीके से उन किसानों के नुकसान की भरपाई की जाएगी।

दरअसल एलआइसी ने जिला सहकारी बैंक के साथ मिलकर किसानों का समूह बीमा कराया। किसानों के परिवारों को मुआवजा मिलने में देरी के पीछे बीमा कंपनियों नोडल एजेंसियों को जिम्मेदार ठहराया।  

 
Back to top button