अगर ऐसा हुआ तो कोरोना वायरस की तबाही से बचाना होगा बेहद मुश्किल, जरुर पढ़ें ये खबर

दुनिया भर में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. भारत में भी इसकी संख्या 148 हो चुकी है. इसे फैलने से रोकने के लिए लोगों को तरह-तरह की सावधानियां बरतने की सलाह दी जा रही है. लोगों को साफ-सफाई का ध्यान रखने और भीड़ वाली जगहों से दूर रहने को कहा जा रहा है.

कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप पर दुनिया भर कई स्टडीज की जा रहीं हैं. ये वायरस किसी भी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है. इसलिए लोगों को बुखार, खांसी, सांस लेने में दिक्कत जैसे लक्षण दिखने वाले लोगों से दूर रहने को कहा जा रहा है. एक तरह से ये राहत की बात है कि इस तरह के लक्षण दिखने वालों से खुद को दूर किया जा सकता है और वायरस को फैलने से रोका जा सकता है.

लेकिन चिंता की एक बात ये भी है कि कोरोना वायरस से पीड़ित होने के बावजूद कई लोगों में इसके लक्षण नहीं दिखते हैं. अमेरिका के मैसाचुसेट्स में ऐसे ही कई मामले सामने आए हैं. मैसाचुसेट्स में 82 ऐसे मामले आए हैं जहां लोगों में कोरोना वायरस के लक्षण ना दिखने के बावजूद उन्हें इस महामारी से पीड़ित पाया गया. वहीं कई स्टडीज से ये भी पता चला है कि बिना लक्षण वाले लोग ज्यादा संक्रमण फैला रहे हैं.

इसे भी पढ़ें: बड़ी खबर: इटली में कोरोना का कहर, मौत ने तोड़ा चीन का रिकॉर्ड

अमेरिका की सीडीसी के मुताबिक, ‘कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक नया कोरोना वायरस लक्षण दिखने से पहले ही फैलने लगता है. हालांकि ये वायरस फैलने का प्रमुख तरीका नहीं है.

एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान व्हाइट हाउस की अधिकारी डॉक्टर डिब्रोह ने कहा, ‘हम 20 साल से कम उम्र के उन लोगों पर स्टडी कर रहे हैं जिनमें बीमारी के कोई लक्षण नहीं दिखते हैं. डिब्रोह से पूछा गया था कि क्या ऐसिम्प्टमैटिक (बिना लक्षण वाले) लोग ही इस वायरस को फैलाने के जिम्मेदार हैं. जवाब में डिब्रोह ने कहा, ‘वास्तव में आप नहीं जानते हैं कि कितने लोग ऐसिम्प्टमैटिक हैं और इस वायरस को फैला रहे हैं, इससे बेहतर है कि लोग इस खतरनाक बीमारी को गंभीरता से लें.

ऐसिम्प्टमैटिक लोगों में रोग के कोई संकेत नहीं दिखते हैं लेकिन बीमारी अंदर मौजूद रहती है. डिब्रोह ने कहा कि कोरोना वायरस फैलने से रोकने के लिए ही हम हर किसी को इसकी व्यक्तिगत जिम्मेदारी लेने के लिए कह रहे हैं. CNN को दिए इंटरव्यू में कई एक्सपर्ट्स ने कहा कि अभी ये स्पष्टतौर पर नहीं कहा जा सकता कि इस महामारी को फैलाने में लक्षण दिखने वाले और नहीं दिखने वालों की संख्या कितनी है.

हालांकि ये बात साफ हो चुकी है कि ऐसिम्प्टमैटिक लोग या कम लक्षण दिखने वाले लोग पहले की अपेक्षा अब इस वायरस को फैलाने के ज्यादा जिम्मेदार माने जा रहे हैं. सीडीसी के डायरेक्टर माइकल ओस्टरहोम ने कहा, ‘अब हम ये जान चुके हैं कि इस वायरस को फैलाने में बिना लक्षण वाले मरीजों की भी अहम भूमिका है.’ ओस्टरहोम ने कहा, ‘ये स्पष्ट है कि ऐसिम्प्टमैटिक इंफेक्शन इस महामारी को और बढ़ा सकता है और इसे नियंत्रित करना बहुत मुश्किल है.’

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button