होला महल्ला शुरू: औरन की होली मम होला…. करो कृपा निध बचन अमोला

खालसा की धरती श्री आनंदपुर साहिब में इन दिनों निहंग सिंहों की छावनियों में काफी चहल-पहल है। निहंग सिंह एक साथ दो से तीन घोड़ों पर सवार होकर उन्हें नियंत्रित करने का अभ्यास कर रहे हैं। इसी तरह युवा निहंग सिंह गतके की कलाबाजियों में खुद को पारंगत कर रहे हैं। घोड़ों और हाथियों की खुराक का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। उनकी साज-सज्जा के लिए नया सामान खरीदा गया है।
ये सारी तैयारी हो रही है सिखों के बड़े महोत्सव होला महल्ला के लिए। होला महल्ला की शुरुआत होली पर्व से तीन दिन पहले कीरतपुर साहिब से आधी रात को नगाड़ा बजाकर होती है। 10 मार्च यानी सोमवार से होला महल्ला शुरू हो जाएगा।
दशम गुरु ने की थी शुरुआत
इस त्योहार को मनाने की शुरुआत सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने 17वीं शताब्दी में की थी। इस महोत्सव की तैयारी करीब एक माह पहले शुरू हो जाती है। निहंग सिंहों के अलग-अलग दल इस दौरान कड़े अनुशासन का पालन करते हैं। निहंग सिंह तड़के चार बजे ही मैदान में पहुंंच जाते हैं। फिर घुड़सवारी, तलवारबाजी, कुश्ती, तीरंदाजी और गतका का जमकर अभ्यास होता है। अभ्यास करने वालों में 12 से 15 साल के किशोरों से लेकर 30 से 35 साल तक के युवा शामिल होते हैं।
सिख विद्वान कहते हैं कि श्री गुरु साहिब का मकसद था कि इस पर्व को मनाने के साथ एक ऐसे समुदाय का निर्माण हो, जिसमें न सिर्फ काबिल योद्धा हों, बल्कि उनमें आत्म अनुशासन भी हो। वे आध्यात्मिकता में भी कुशल हों। इसका उद्देश्य एकता, बंधुत्व, वीरता और पारस्परिक प्रेम फैलाना है।
निहंग जत्थेबंदी बाबा बुड्ढा दल के महासचिव दलजीत सिंह बेदी बताते हैं कि निहंगों के ग्रंथ सर्व लौह में लिखा गया है- औरन की होली मम होला… करो कृपानिध बचन अमोला। इसका अर्थ है- कि दूसरों का त्योहार होली है और हमारा होला महल्ला है। गुरु साहिब इस पर अपनी कृपा के बचन बनाए रखना। यही हमारी अरदास है।
लाखों की संगत और गतके का रोमांच
होला महल्ला की शुरुआत गुरुद्वारों में अरदास के साथ होती है। इसके बाद भव्य नगर कीर्तन निकाला जाता है। इसे देखने के लिए लाखों की संख्या में लोग उमड़ते हैं। दूसरे दिन पारंपरिक सिख मार्शल आर्ट गतका का प्रदर्शन होता है। इसमें दो गुट युद्ध कौशल का परिचय देते हैं। घुड़सवारी, कुश्ती, तीरंदाजी जैसी प्रतियोगिताएं होती हैं। इन्हें देखकर लोग दांतों तले अंगुली दबाने को मजबूर हो जाते हैं।
होली के अगले दिन निकलने वाला महल्ला इस महोत्सव का सबसे बड़ा आकर्षण है। इसमें निहंग सिंह एक साथ एक से अधिक भागते हुए घोड़ों के ऊपर खड़े होकर हैरतअंगेज करतब दिखाते हैं। गतका में आंखों में पट्टी बांध कर जब युवा निहंग तलवारबाजी करते हैं, तो देखने वालों की आंखें खुली की खुली रह जाती हैं। होला महल्ला सिखों की सांस्कृतिक विरासत का आईना है। 14 को होली के बाद 15 मार्चको महल्ला निकलने के साथ ही इस महोत्सव का समापन हो जाएगा।
होला महल्ला पर्व का इतिहास
सिख इतिहासकारों के अनुसार होला महल्ला पर्व का स्वरूप काफी बदल गया है। पहले इसमें होली के दिन एक-दूसरे पर फूल व फूल से बने रंग डालने की परंपरा थी, लेकिन श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने इसे शौर्य के साथ जोड़ते हुए सिख कौम को सैन्य प्रशिक्षण देने का हुक्म दिया। निहंगों को श्री गुरु गोबिंद सिंह की लाडली फौज कहा जाता है। वे दो दलों में बंट कर अपने शौर्य का प्रदर्शन करते हैं। निहंग
घुड़सवारी करते हुए शस्त्र चलाते हैं। इस तरह होली के रंग में वीरता का रंग भी घुल गया।
अटूट लंगर की सेवा
छह दिन के महोत्सव में संगत की तरफ से अटूट लंगर लगाए जाते हैं। दूर-दूर से लोग यहां पहुंचते हैं। रास्ते में कई सिख दल ठहरने और लंगर की सेवा करते हैं। इसके अलावा निहंगों के अलग-अलग दल भी अपनी सेवाएं देते हैं। आम लोग भी रास्तों में लंगर लगाकर संगत की सेवा करते हैं।
ट्रैक्टरों और ट्रकों पर स्पीकरों के इस्तेमाल पर लगा प्रतिबंध
कीरतपुर साहिब और आनंदपुर साहिब में 10 से 15 मार्च 2025 तक चलने वाले होला-महल्ला में श्रद्धालुओं को किसी भी अप्रिय घटना से बचाने के लिए ट्रैक्टरों और ट्रकों पर स्पीकरों के इस्तेमाल पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है। एसएसपी रूपनगर गुलनीत सिंह खुराना ने बताया कि राज्य के सभी जिलों के पुलिस प्रशासन को पहले ही सूचित कर दिया गया है कि वे अपने-अपने जिलों और यूनिटों के तहत आने वाले पुलिस थानों के प्रमुख अधिकारियों और ट्रैफिक इंचार्जों के माध्यम से ट्रक यूनियनों के प्रतिनिधियों और पंचायतों को यह निर्देश दें कि कोई भी डबल डेकर ट्रक, वाहन, ट्रैक्टर-ट्रॉली पर लगे बड़े स्पीकर, मोटरसाइकिलों पर प्रेशर हॉर्न और बिना साइलेंसर वाले मोटरसाइकिल चालक होला-महल्ला के दौरान आनंदपुर साहिब और कीरतपुर साहिब न आ सकें।
उन्होंने कहा कि ट्रैफिक नियमों और कानून का उल्लंघन करने वालों पर भी कार्रवाई की जाएगी और मौके पर ही वाहनों से ध्वनि प्रदूषण करने वाले स्पीकरों को हटाकर आगे भेजा जाएगा। गुलनीत खुराना ने बताया कि होला-महल्ला मेले के दौरान देश और विदेश से आने वाली संगत को स्पीकरों की आवाज से होने वाली परेशानी को रोकने के लिए यह फैसला लिया गया है। मेले के दौरान किसी भी स्पीकर वाले डबल डेकर ट्रक, वाहन को रूपनगर जिले में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा।