#Gorakhpur: अब तक 32 की मौत, अभी भी कार्यवाही से बच रही योगी सरकार

गोरखपुर. बीआरडी मेडिकल कालेज में बच्‍चों की मौत का सिलसिला थमता नजर नहीं आ रहा है. अभी दो दिन में 30 बच्‍चों की मौत से कोहराम मचा था, कि तभी इंसेफेलाइटिस पीडि़त एक बच्‍ची और एक नवजात की मौत हो गई. अपुष्ट खबरों की मानें तो यह आंकड़ा 50 को पार कर चुका है.#Gorakhpur: अब तक 32 की मौत, अभी भी कार्यवाही से बच रही योगी सरकार
लेकिन सरकार अभी भी इन मौतों के पीछे ऑक्सीजन की सप्लाई को मानने को तैयार नही है. सरकार की तरफ से मीडिया में आ रही खबरों लगातार भ्रामक बताने की कोशिश हो रही है. लेकिन कोई भी इस मुद्दे पर बोलने को तैयार नहीं कि 10 तारीख को मौत का आंकड़ा अचानक ढाई गुना क्यों हो गया?
गोरखपुर में एन्सेफलाइटिस से होने वाली मौतों का आंकड़ा हमेशा ऐसे ही बना रहता है, दुर्भाग्य से जिसे सिस्टम रूटीन डेथ मान के चलता है. लेकिन ऑक्सीजन खत्म होने की खबरों की बीच मौत का आंकड़ा एकदम से ढाई गुना बढ़ना और प्रशासन के एकदम से जागने के बाद नीचे आना बड़ी लापरवाही की तरफ इशारा कर रहा है. सरकार द्वारा जारी आंकड़ों में देखें तो NICU दोगुने से अधिक और मौतें और नॉन एइएस में 6 मौतें हैं जो कि एकदम से अधिक है, AES वाली मौतें रोज के औसत के बराबर हैं. ये आंकड़े बताने के लिए काफी हैं कि ऑक्सीजन सप्लाई खत्म होने के बाद किस तरह मेडिकल कॉलेज में मौत नाच रही रही थी.
गोरखपुर के शाहपुर थानाक्षेत्र के बिछिया पीएसी कैम्‍प के पास रहने वाले जाहिद ने अपनी पांच साल की बच्‍ची खुशी को तीन दिन पहले इंसेफेला‍इटिस वार्ड में भर्ती कराया था. वह इंसेफेलाइटिस से पीडि़त थी. जाहिद का कहना है कि आज इलाज और ऑक्‍सीजन की कमी के कारण शुक्रवार की देर रात 11 बजे उनकी बच्‍ची खुशी की लाश को उसके सुपुर्द कर दिया, जाहिद को विश्‍वास था कि वह अपनी बच्‍ची के ठीक होने के बाद खुशी के साथ अपने घर वापस जाएगा. लेकिन, खुशी की मौत से उसके परिवार में मातम छा गया.
कुशीनगर के हाटा के रहने वाले मुकेश ने अपनी गर्भवती पत्‍नी को 16 दिन पहले अपनी पत्‍नी रंभा देवी को मेडिकल कालेज में भर्ती कराया था. शुक्रवार की देर रात 10.45 बजे नवजात की मौत की खबर चिकित्‍सकों ने दी. उसका आरोप है कि वह कई दिनों से डाक्‍टरों से अपनी बच्‍ची का हाल पूछ रहा था. लेकिन डाक्‍टर कुछ भी बता नहीं रहे थे. उसका कहना है कि उसकी बच्‍ची की मौत किस वजह से हुई और ऑक्‍सीजन की कमी थी कि नहीं उसे नहीं पता है.
वहीं गोरखपुर के मिर्जापुर इलाके की रहने वाली राजेश्‍वरी देवी ने बुखार होने पर अपनी पोती को चार दिन पहले यहां भर्ती कराया था. लेकिन वह बताती हैं कि डाक्‍टरों की लापरवाही के कारण उनकी पोती की हालत और खराब होती गई. यहां पर इलाज में लापरवाही बरती जा रही है. उन्‍होंने अपनी पोती को यहां से डिस्‍चार्ज करा लिया है.
बीआरडी मेडिकल कालेज पहुंचे कुशीनगर के तमकुहीराज से कांग्रेस विधायक अजय सिंह लल्‍लू ने तीन दिन में 30 बच्‍चों की मौतों पर दुःख व्‍यक्‍त किया. उन्‍होंने कहा कि वह मांग करते हैं कि मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ इस्‍तीफा दें. इसके साथ ही उन्‍होंने कहा कि मृत बच्‍चों के परिजनों को 50-50 लाख रुपए मुआवजा दिया जाए. उन्‍होंने कहा कि योगी आदित्‍यनाथ जब सांसद थे तब संसद में इस मुद्दे को उठाते थे. लेकिन आज जब वह खुद मुख्‍यमंत्री हैं तो वह इस मामले पर चुप्‍पी साधे हुए हैं और यह सही नहीं है.

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इंसेफेलाइटिस उन्‍मूलन अभियान के चीफ कैम्‍पेनर एवं बाल रोग विशेषज्ञ डा. आरएन सिंह का कहना है कि मौतों का आंकड़ा हैरान कर देने वाला है. उन्‍होंने कहा कि 1978 से अब तक इंसेफेलाटिस से लगभग 2 लाख बच्‍चों को मौत हो चुकी है. लेकिन, सरकारी आंकड़े काफी कम हैं. उन्‍होंने कहा कि मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ को इस मामले में जांच करवाकर यह पता लगाना चाहिए कि आखिर यह मौतें कैसे हुई और इसके द‍ोषियों के खिलाफ सख्‍त से सख्‍त कार्रवाई करनी चाहिए.
ऑक्‍सीजन की कमी से मौतों की बात न तो मेडिकल कालेज और न ही जिला प्रशासन स्‍वीकार कर रहा है. लेकिन यह तो तय है कि तीन दिन में 30 मौतों के पीछे आखिर कोई तो बड़ी वजह है ही.
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