12 की उम्र में शादी के बाद 16 में हो रहा था गौना, घर से भाग एेसे रद्द कराई मैरिज

जोधपुर. 19 साल की सुशीला राजकीय बालगृह में रहती हैं। अभी 12वीं की पढ़ाई कर रही हैं। वह 12 साल की थीं, जब घर वालों ने उनकी जबरन शादी कर दी थी। 16 साल की उम्र में घर वाले गौना करवा रहे थे, पर सुशीला ने विरोध किया। नहीं माने तो, वह घर से भाग गईं। फिर मामला कोर्ट में पहुंचा। लेकिन सुशीला कोर्ट में यह साबित नहीं कर पा रही थीं कि शादी के वक्त वह नाबालिग थी। जिस लड़के से शादी हुई थी, वह भी मुकर गया। फिर सुशीला ने लड़के के फेसबुक आईडी से कोर्ट में शादी के सबूत पेश किए कि उसकी शादी 2010 में हुई थी। हाल ही में कोर्ट ने सुशीला की शादी को रद्द कर दिया।12 की उम्र में शादी के बाद 16 में हो रहा था गौना, घर से भाग एेसे रद्द कराई मैरिज

अब पढ़िए पूरी कहानी सुशीला की जुबानी…

बकौल सुशीला, “मैं बाड़मेर के भांडियावास गांव में 1998 में पैदा हुई थी। 2010 में 12 साल की थी, जब परिवार वालों ने शादी कर दी। विवाह बिसलपुर गांव में हुआ। मेरे साथ ही बड़ी बहन की भी शादी हुई थी। मुझे इसका पता शादी से दो दिन पहले चला। मैंने शादी नहीं करने की जिद की तो मां ने बुजुर्गों के सामने बोलने से मना कर दिया। पिताजी से फरियाद की। बोले, तू पूरे समाज में नाक कटाएगी। अभी हम तूझे ससुराल नहीं भेजेंगे। यदि बारात लौट गई तो बड़ी बहन की शादी में भी दिक्कतें आएंगी। मुझे जबरन मंडप में बैठा दिया गया। मेरी पढ़ाई भी बंद हो गई। सहेलियों को स्कूल जाते देखकर मेरा मन अक्सर उदास हो जाता था। फिर मैं घर के कामों में ही हाथ बंटवाने लगी। “

गौने की तारीख भी नहीं बताई गई कि कहीं मैं पुलिस को सूचना न दे दूं

सुशीला के मुताबिक, “अप्रैल 2016 में घर पर मेरे गौना भेजने की तैयारियां शुरू हो गईं। तब 17 साल की थी। मैंने फिर विरोध किया, पर मुझे मारपीट कर चुप करा दिया गया। मैंने पुलिस अधिकारियों को भी फोन किए। तभी मैंने दैनिक भास्कर में सारथी ट्रस्ट की मैनेजिंग ट्रस्टी कृति भारती दीदी की बाल विवाह निरस्त कराने की मुहिम के बारे में पढ़ा। फिर मैंने उन्हें फोन कर शादी के बारे में बताया। मैंने चिट्ठी भी लिखी। मुझे गौने की तारीख भी नहीं बताई गई कि कहीं मैं पुलिस को सूचना न दे दूं।”

फेसबुक की मदद से ऐसे रद्द कराई शादी

सुशीला ने बताया “मैंने फिर दीदी को फोन लगाया। देर रात मैं घर से निकल गई। तभी हाइवे पर एक कार आकर रुकी। देखा कि ये तो कृति दीदी हैं। उन्होंने मुझे बाड़मेर बाल कल्याण समिति के सामने पेश कर मेरी कस्टडी हासिल कर ली। वह मुझे जोधपुर लेकर पहुंची। इसके बाद मैंने दीदी के साथ पारिवारिक न्यायालय में बाल विवाह को निरस्त करने की गुहार लगाई। कोर्ट में तथाकथित पति ने बाल विवाह से ही इंकार कर दिया। अब मैं और दीदी गांव जाकर शादी के सबूत ढूंढने लगी। गांव वालों ने गवाही से मना कर दिया। शादी की कोई फोटो भी नहीं था। मैंने पति के दो फेसबुक अकाउंट सर्च किए। फेसबुक से शादी के दिन के बधाई संदेशों और कई सबूत कोर्ट में पेश किया। जिसके बाद सोमवार को जोधपुर पारिवारिक न्यायालय की न्यायाधीश रेखा भार्गव ने मेरे बाल विवाह को निरस्त करने का फैसला सुनाया।”

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मैं पुलिस अधिकारी बनना चाहती हूं

19 साल की सुशीला अभी जोधपुर की राजकीय बालगृह में रहकर 12वीं की पढ़ाई कर रही हैं, कहती हैं- मुझे पुलिस अधिकारी बनना है

कृति दीदी 33 बाल विवाह को खारिज करा चुकी हैं

सारथी ट्रस्ट की डॉ. कृति भारती ने अब तक 33 जोड़ों के बाल विवाह खारिज करवा चुकी हैं। देश का पहला बाल विवाह निरस्त और 2015 में तीन दिन में दो बाल विवाह निरस्त करवाने पर उनका नाम वर्ल्ड रिकॉर्ड इंडिया और लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया था। सीबीएसई ने भी कक्षा 11 के पाठ्यक्रम में सारथी की मुहिम को शामिल किया है।
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