QR कोड स्कैन से ‘क्विशिंग स्कैम’ तक, खतरनाक है ठगी का ये जंजाल
पेमेंट करना हो, जानकारी लेनी हो या फिर कोई टिप्पणी करनी हो, क्यूआर कोड है न। चुटकी बजाते ही इस चौकोर तस्वीर को स्कैन करके यह संभव हो गया है, लेकिन इसी क्यूआर कोड से होने वाले ‘क्विशिंग स्कैम’ से सतर्क रहने की भी जरूरत है। कर्नाटक के मंगलोर में पेट्रोल पंप के कर्मचारी ने क्यूआर कोड बदलकर अपने मालिक को दो साल के दौरान 58 लाख रुपये का चूना लगा दिया।
इसी तरह मध्यप्रदेश के खजुराहो में एक शातिर 12 दुकानों के बाहर लगे क्यूआर कोड को रातों-रात बदलकर अपने खाते में पेमेंट करवाने में सफल हो गया। इन घटनाओं में क्यूआर के जरिए अलग-अलग तरीके के तकनीकी स्कैम हुए।
सावधान रहने की जरूरत
पेमेंट में सावधानी क्यूआर कोड पेमेंट को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है। खासकर इंटरनेट मीडिया पर भेजे क्यूआर की जांच उसके खाताधारक के नाम से की जानी चाहिए। स्कैमर अपना क्यूआर कोड खूब बना रहे हैं। कोड को स्कैन करने और पिन दर्ज करने से पहले जांच जरूरी है कि पेमेंट किस खाते में जा रहा है।
संदिग्ध क्यूआर कोड की पहचान गूगल लेंस लेने से की जा सकती है। पैसे के लिए क्यूआर कोड की जरूरत नहीं होती। इस स्थिति में कोड स्कैन कर यूपीआई पिन डालते ही फ्राड हो सकता है। क्यूआर कोड से किसी सामान का फीडबैक लेना भी समस्या पैदा कर सकता है।
कैसे होती है धोखाधड़ी
सामान्य तौर पर इसे नकली क्यूआर कोड से पेमेंट की धोखाधड़ी कहा जाता है, जबकि तकनीकी रूप से ‘नकली’ क्यूआर कोड जैसी कोई चीज नहीं होती है। आम क्यूआर कोड स्कैम में ऑनलाइन मार्केटप्लेस पर संभावित खरीदार के रूप में स्वयं को पेश करने वाला स्कैमर किसी वस्तु को खरीदने में रुचि दिखाता है।
विक्रेता की यूपीआई आइडी या बैंक खाते के विवरण का अनुरोध कर इस दावे के साथ खाते की जानकारी की पुष्टि करने के बहाने से एक क्यूआर कोड भेजता है।व्यक्ति इससे अनजान होता है कि क्यूआर कोड वास्तव में उसे उसके बैंक के लॉगिन पेज जैसी दिखने वाली एक नकली वेबसाइट पर ले जा सकता है। जब वह मांगी गई जानकारी दर्ज करता है तो स्कैमर उसकी लॉगिन जानकारी चुरा लेता है और बैंक खातों तक पहुंच बना लेता है।
संवेदनशील जानकारियों को लेकर सतर्कता
क्यूआर कोड आपको सिर्फ एक यूआरएल पर ही नहीं ले जाता, बल्कि इसके जरिए आपकी निजी जानकारी चुराने या धोखाधड़ी करने के तरीके अपना लेता है।