चारा घोटाला: लालू यादव को मिली सबसे बड़ी सजा, 30 लाख का लगा जुर्माना

बिहार के बहुचर्चित चारा घोटाले के चौथे मामले दुमका ट्रेजरी घोटाले में रांची की विशेष सीबीआई अदालत ने बिहार के पूर्व सीएम और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद को 7-7 साल की सजा सुनाई है. दोनों सजाएं एक साथ चलेंगी. कोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लालू यादव को सजा सुनाई. इसी के सात उन पर 30 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. जुर्माना नहीं भरने पर सजा एक साल और बढ़ जाएगी. चारा घोटाले में लालू को सुनाई गई ये सबसे बड़ी सजा है. चारा घोटाले के तीन मामलों में लालू को 13.5 साल जेल की सजा मिल चुकी है.

चारा घोटाले के चौथे मामले में यहां की एक विशेष सीबीआई अदालत ने बीते 19 मार्च को लालू प्रसाद को दोषी करार दिया था, लेकिन कोर्ट ने इसी मामले में बिहार के पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्रा को बरी कर दिया गया था. विशेष कोर्ट के जज शिवपाल सिंह ने दिसंबर 1 995 से जनवरी 1996 तक दुमका कोषागार से फर्जी तरीके से 3.13 करोड़ रुपए निकालने के मामले में ये फैसला सुनाया. यह फैसला पहले 15 मार्च को सुनाया जाना था, जिसे चार बार पहले भी आगे बढ़ा दिया गया था. न्यायाधीश ने अपना फैसला वर्णानुक्रम के अनुसार सुनाया, लेकिन लालू यादव फैसला सुनाने के बाद कोर्ट पहुंचे थे, हालांकि पूर्व सीएम मिश्रा सजा सुनाने के दौरान कोर्ट में ही मौजूद थे.

दुमका कोषागार मामले में 19 दोषी करार 

चारा घोटाले के दुमका कोषागार से 3.13 करोड़ रुपए के गबन के मामले में 31 लोगों के खिलाफ सीबीआई की विशेष अदालत का बहुप्रतीक्षित फैसला बीते 19 मार्च को आया था. सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह ने लालू समेत 19 को दोषी करार दिया था और पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा, पूर्व विधायक ध्रुव भगत, पूर्व सांसद जगदीश शर्मा, पूर्व मंत्री विद्या सागर निषाद, पूर्व विधायक आर के राणा समेत 12 लोगों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया.

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24 जनवरी: चाईबासा कोषागार मामले में लालू  को सजा

चारा घोटाले के एक मामले में इससे पहले इसी साल 24 जनवरी को लालू प्रसाद एवं जगन्नाथ मिश्र को सीबीआई की विशेष कोर्ट ने चाईबासा कोषागार से 35 करोड़, 62 लाख रुपए के गमन के चारा घोटाले के एक अन्य मामले में में 5 -5 साल की जेल और क्रमश- 10 लाख और 5 लाख रुपए का जुर्माना से दंडित किया था. सीबीआई की विशेष अदालत ने चारा घोटाले के चाईबासा मामले में 50 आरोपियों को सजा सुनाई थी.

6 जनवरी: देवघर कोषागार मामले में सुनाई गई सजा

रांची की एक विशेष सीबीआई अदालत ने नौ सौ पचास करोड़ रुपये के चारा घोटाला में देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हजार रुपये की अवैध निकासी के मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राजद प्रमुख लालू प्रसाद को साढ़े तीन वर्ष की कैद एवं दस लाख जुर्माने की शनिवार (6 जनवरी) को सजा सुनाई थी. अदालत ने लालू के दो पूर्व सहयोगियों लोक लेखा समिति के तत्कालीन अध्यक्ष जगदीश शर्मा को सात वर्ष की कैद एवं बीस लाख रुपये के जुर्माने एवं बिहार के पूर्व मंत्री आर के राणा को साढ़े तीन वर्ष की कैद और 10 लाख जुर्माने की सजा सुनाई.

1996 में दर्ज हुआ था चारा घोटले का पहला मामला

बिहार के बहुचर्चित चारा घोटाला में पहली बार 1996 में मामला दर्ज किया गया था. उस समय मामले में 49 आरोपी थे. मुकदमे के दौरान 14 की मौत हो गई. कोर्ट ने सोमवार को 31 आरोपियों में से 19 को दोषी करार दिया और 12 को बरी कर दिया. लालू प्रसाद को वर्ष 2013 में चारा घोटाले के पहले मामले में 5 साल की सजा सुनाई गई थी. उन्हें 23 दिसंबर 2017 को इसके दूसरे मामले में दोषी ठहराया गया था और साढ़े तीन वर्ष की सजा सुनाई गई थी. वहीं, चारा घोटाले के तीसरे मामले में उन्हें 24 जनवरी को 5 साल की सजा सुनाई गई थी. 2000 में बिहार से झारखंड के अलग हो जाने के बाद चारा घोटाले से जुड़े सारे मामलों को रांची स्थानांतरित कर दिया गया था.

हाईकोर्ट में एक दिन पहले टली थी लालू यादव की बेल पर सुनवाई

रांची चारा घोटाले के चाईबासा कोषागार से जुड़े एक मामले में सजा पाने के बाद बिरसा मुंडा जेल में बंद आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद की जमानत याचिका पर शुक्रवार को झारखंड उच्च कोर्ट में सुनवाई टल गई थी. जस्टिस अपरेश सिंह की पीठ ने लालू प्रसाद की चाईबासा कोषागार मामले में हुई सजा के खिलाफ जमानत की याचिका पर सुनवाई टाल दी.

जमानत याचिका अब 24 को होगी सुनवाई 

इस मामले में 6 अप्रैल को सुनवाई होगी. लालू के वकील प्रभात कुमार ने बताया कि कोर्ट में बार- बार अनुरोध के बावजूद उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकी. बता दें कि इससे पूर्व लालू को देवघर कोषागार के मामले में भी 23 दिसंबर को दोषी ठहराया गया था. इस मामले में भी उच्च न्यायालय से जमानत नहीं मिली थी.

सम्मन पर मिला था स्थगनादेश 

अपरेश सिंह की पीठ ने दुमका कोषागार से हुए घोटाले के मामले में जारी नोटिस पर सुनवाई की और इस मामले में बिहार के पूर्व डीजीपी डीपी ओझा, बिहार के पूर्व चीफ सेक्रेटरी सचिव वीएस दूबे, अंजनी कुमार सिंह, चंडोक और सीबीआई के चारा घोटाले से जुड़े अभियोजन अधिकारी एके झा को शिवपाल सिंह की विशेष सीबीआई अदालत से जारी सम्मन पर स्थगन दे दिया था.

 
 
 
 
 
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