विशेषज्ञों ने किया बड़ा दावा: ड्राइवरलेस मेट्रो पहले से होगी अधिक सुरक्षित

ड्राइवरलेस मेट्रो के लिए कालिंदी कुंज में बने डिपो में ट्रेन के दीवार से टकराने के बाद नई सीबीटीसी तकनीक को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं, मगर पेरिस, न्यूयार्क, बार्सिलोना जैसे मेट्रो नेटवर्क इसी तकनीक को अपना चुके हैं। मेट्रो विशेषज्ञों का मानना है कि यह तकनीक मौजूदा दिल्ली मेट्रो की तकनीक से ज्यादा सुरक्षित है। मेट्रो फेज तीन में बन रही दो मजेंटा और पिंक लाइन में इसी तकनीक का इस्तेमाल कर रही है। दोनों लाइन पर कुल 504 कोच का प्रयोग किया जाएगा। यह पूरी तरह से ऑटोमेटेड ड्राइवरलेस तकनीक  पर होगा। 
विशेषज्ञों ने किया बड़ा दावा: ड्राइवरलेस मेट्रो पहले से होगी अधिक सुरक्षितक्या है ड्राइवरलेस सीबीटीसी तकनीक 

यह कम्युनिकेशन बेस्ट ट्रेन कंट्रोल (सीबीटीसी) एक ऑटोमेटेड कंट्रोल सिस्टम है जो ट्रेन परिचालन को दिल्ली मेट्रो की मौजूदा तकनीक से ज्यादा सुरक्षित बनाता है। यह पूरा सिग्नलिंग सिस्टम रेडियो ट्रांसमिशन पर काम करता है। यह सर्किट ट्रांसमिशन के बजाय लोकेशन, स्पीड और दिशा को देखकर किसी ट्रेन की गति और दो ट्रेन के बीच की दूरी को तय करता है। इस तकनीक में ट्रेन को इमरजेंसी ब्रेक (डेडली ब्रेक) लगाने की क्षमता है। 

ट्रेन कंट्रोल के लिए ब्लॉक वाइज रेडियो ट्रांसमिशन होता है। मसलन औसतन हर 50 मीटर पर ट्रेन का सिग्नल देने वाला ब्लॉक बदलता रहता है। यह टावर के जरिये वायरलेस सिस्टम से उपलब्ध होता है। मसलन एक ब्लॉक में एक समय में दो ट्रेन को सिग्नल नहीं मिलेगा। अगर ट्रैक पर कोई ट्रेन किसी कारण रुक गई तो उसके पीछे आ रही ट्रेन उस टावर के 50 मीटर के ब्लॉक में प्रवेश नहीं कर पाएगी। उसमें खुद ब्रेक लग जाएगा। यह मौजूदा परिचालन तकनीक में उपलब्ध नहीं है क्योंकि यहां फिक्स्ड ब्लॉक पर चलता है। 

तकनीक के फायदे 

सीबीटीसी तकनीकी वायरलेस होने से डीएमआरसी को कई फायदे हैं। पहला सिग्नलिंग उपकरण, इंस्टालेशन और उसका रखरखाव खत्म हो जाएगा। फ्रीक्वेंसी 90 सेकेंड की हो जाएगी। अभी तक न्यूनतम दो मिनट से ज्यादा का है। फ्रीक्वेंसी बेहतर होने से मेट्रो ट्रिप की संख्या भी बढ़ेगी। अगर सिस्टम में कोई दिक्कत आती है तो उसे रिस्टोर करने में आसानी होगी। क्योंकि सिस्टम की समस्या को लोकेट करने में आसानी होगी। 

क्या हैं सुरक्षा के उपाय 

सीबीटीसी तकनीक में मेट्रो ट्रेन को ऑटोमेटेड बनाया गया है। इसमें फायर अलार्म, ट्रैक, कैमरा और ट्रेन के अगले व पिछले हिस्से में फ्रंट फेसिंग कैमरा होगा। ट्रैक पर पड़ी किसी वस्तु को दूर से भांपने के लिए ऑब्सट्रक्शन डिफ्लेक्शन डिवाइस (ओडीडी) उपकरण भी होगा। पहली बार मेट्रो कोच के अंदर फायर डिटेक्शन उपकरण लगे हैं। पूरी लाइन पर प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर लगा है। कोच के अंदर यात्री सीधे ऑपरेशन कंटोल रूम से सीधे जुड़ सकता है। वाई-फाई के जरिये वीडियो कांफ्रेंसिंग कर पाएगा। ट्रेन के अंदर स्क्रीन और कैमरा लगा होगा। 

दुनिया के ये मेट्रो भी प्रयोग करते सीबीटीसी 

पेरिस, बार्सिलोना, न्यूयार्क, बुडापेस्ट, स्टॉकहोम, हेलसिंकी, साओ पालो, शेनयांग मेट्रो नेटवर्क सीबीटीसी का प्रयोग कर रहे हैं। 

 
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