टॉन्सिलाइटिस को न टालें…लग सकता है दिल और किडनी का रोग, जानिए क्या कहते हैं डॉक्टर
सर्दी के मौसम में बच्चों में टॉन्सिलाइटिस रोग का खतरा बढ़ रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार इसे नजरअंदाज करना खतरनाक साबित हो सकता है। तीन सप्ताह से अधिक समय तक टॉन्सिलाइटिस रहने से दिल और किडनी की समस्या हो सकती है। इसके शुरुआती लक्षण सामने आते ही चिकित्सकीय परामर्श लें।
सर्दी का मौसम बच्चों के लिए कई बीमारियों का कारण बन रहा है। इस तरह के मौसम में बच्चों में टॉन्सिलाइटिस का खतरा लगातार बढ़ रहा है। दून अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ की ओपीडी में हर रोज इस रोग से पीड़ित पांच से आठ मरीज पहुंच रहे हैं। इस रोग में बच्चों को खाना निगलने में तकलीफ, गले दर्द, बुखार और सांस लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। चिकित्सक इसे संक्रमण को लेकर खासी चिंता भी जाहिर कर रहे हैं।
दून अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. गौरव मखीजा बताते हैं कि टॉन्सिलाइटिस रोग लगातार तीन सप्ताह से अधिक समय तक रहने से दिल और किडनी को संक्रमित कर सकता है, जो जानलेवा साबित हो सकता है। ऐसी स्थिति में ऑटोइम्यून डिसीज पैदा होती है, जो दिल और किडनी को नुकसान पहुंचाती है। टॉन्सिलाइटिस रोग दिल में रिमैटिक हार्ट डिसीज और किडनी में ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस रोग का कारण बनता है।
चार से छह वर्ष की उम्र के बच्चों में टॉन्सिलाइटिस सामान्य
डॉ. मखीजा के मुताबिक चार से छह वर्ष के उम्र के बच्चों में टॉन्सिल बढ़ना सामान्य घटना है। बच्चों में यह 12 वर्ष की आयु तक रहता है। इसके बाद यह स्वयं सही होने लगता है। इस दौरान अगर टॉन्सिल का आकार अधिक बढ़ता है तो ऐसी स्थिति में यह असामान्य हो सकता है।
लिंगुअल और ट्यूबल टॉन्सिल के भी मिलते हैं मरीज
चिकित्सक के मुताबिक कभी-कभी मरीज की जीभ के निचले हिस्से में टॉन्सिल की समस्या आती है। इसे लिंगुअल टॉन्सिल कहते हैं। इसके अलावा कान और गले को जोड़ने वाली ट्यूब के टॉन्सिल को ट्यूबल टॉन्सिल कहते हैं। इसके शुरुआती लक्षण सामने आते ही मरीजों को चिकित्सकीय परामर्श लेना चाहिए।