जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में एंबुलेंस के निर्बाध आवागमन के लिए एक तंत्र विकसित करें
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने दोनों यूटी के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों (डीजीपी) को निर्देश दिया है कि वे स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर एंबुलेंस के निर्बाध आवागमन के लिए एक तंत्र विकसित करें।मुख्य न्यायाधीश ताशी रबस्तान और न्यायाधीश पुनीत गुप्ता की पीठ ने यह आदेश 2018 में व्हाइट ग्लोब एनजीओ द्वारा दायर जनहित याचिका की सुनवाई में दिया। याचिका में एंबुलेंस के बुनियादी ढांचे को यूरोपीय मानकों के अनुसार अपग्रेड करने और विभिन्न सरकारी विभागों, विशेषकर यातायात और स्वास्थ्य विभाग के बीच बेहतर समन्वय की मांग की गई थी।
पिछले वर्ष अप्रैल में उच्च न्यायालय ने कश्मीर के डिविजनल कमिश्नर को एंबुलेंस के बुनियादी ढांचे के उन्नयन और उनके निर्बाध आवागमन के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया था। डिविजनल कमिश्नर ने विभिन्न विभागों से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर 22 फरवरी को एक हलफनामा अदालत में पेश किया था।
हलफनामे में बताया गया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, जम्मू-कश्मीर ने 24 मार्च 2020 से बीवीजी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ सार्वजनिक-निजी भागीदारी के तहत जम्मू-कश्मीर आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं का एक पहल शुरू की है। अदालत ने कहा कि विभिन्न विभागों ने पहले से ही कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किए गए शिकायतों का संज्ञान लिया है और उपयुक्त कार्रवाई की है। इसलिए, अदालत ने वर्तमान याचिका को समाप्त करते हुए सीएस और डीजीपी को एंबुलेंस के निर्बाध आवागमन के लिए तंत्र विकसित करने का निर्देश दिया।